मुक्तक/दोहा

लक्ष्य अधूरा ही रहा

लक्ष्य अधूरा ही रहा, मन में रहा मलाल।
मिल जाती कुछ छूट तो, करते बहुत कमाल।।
लक्ष्य अधूरा ही रहा, चूक ग‌ई जो मार।
तोपें ठंडी पड़ ग‌ई, हुआ हुक्म सरकार।।
लक्ष्य अधूरा ही रहा, जन मानस हैरान।
तोड़ दिये अरमान सब, यह कैसा फरमान।।
निकल ग‌ई सब हेकड़ी, वैरी पाकिस्तान।
जिस धुन से थे हम छिड़े, रहे न नाम निशान।।
छोड़ दिया इस बार फिर, सीख सबक शैतान।
लक्ष्य अधूरा ही रहा, अच्छी किस्मत जान।।
नंगा जग में हो गया, लोग कहें शैतान।
अपना कहाँ वजूद अब, नहीं बची पहचान।।
पाले बिल में सांप हैं, आफत में है जान।
कूद पड़े अब नेवले, नहीं बची पहचान।।
निकल ग‌ई सब हेकड़ी, करता बहुत गुमान।
ओले गिरे बेख़ौफ से, नहीं बची पहचान।।
भारत बड़ा विशाल है, कहते देश महान।
पंगा इस से जो लिया, नहीं बची पहचान।।
टुकड़े टुकड़े हो गया, अब तो पाकिस्तान।
खाक हुआ है इस तरह, नहीं बची पहचान।।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995

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