लक्ष्य अधूरा ही रहा
लक्ष्य अधूरा ही रहा, मन में रहा मलाल।
मिल जाती कुछ छूट तो, करते बहुत कमाल।।
लक्ष्य अधूरा ही रहा, चूक गई जो मार।
तोपें ठंडी पड़ गई, हुआ हुक्म सरकार।।
लक्ष्य अधूरा ही रहा, जन मानस हैरान।
तोड़ दिये अरमान सब, यह कैसा फरमान।।
निकल गई सब हेकड़ी, वैरी पाकिस्तान।
जिस धुन से थे हम छिड़े, रहे न नाम निशान।।
छोड़ दिया इस बार फिर, सीख सबक शैतान।
लक्ष्य अधूरा ही रहा, अच्छी किस्मत जान।।
नंगा जग में हो गया, लोग कहें शैतान।
अपना कहाँ वजूद अब, नहीं बची पहचान।।
पाले बिल में सांप हैं, आफत में है जान।
कूद पड़े अब नेवले, नहीं बची पहचान।।
निकल गई सब हेकड़ी, करता बहुत गुमान।
ओले गिरे बेख़ौफ से, नहीं बची पहचान।।
भारत बड़ा विशाल है, कहते देश महान।
पंगा इस से जो लिया, नहीं बची पहचान।।
टुकड़े टुकड़े हो गया, अब तो पाकिस्तान।
खाक हुआ है इस तरह, नहीं बची पहचान।।
— शिव सन्याल