बिल्कुल मत भूलना
कैसे भूल सकते हो
इतिहास की बातों को,
जाति के नाम पर पड़े
घूसों और लातों को,
ये मत भूलो कि
आज भी उनके मोहरे हो,
दलाली करने के लिए
अपने समाज के मात्र चेहरे हो,
हर युग हर काल में लतियाये गए हो,
इंसानों की बस्ती से दूर भगाये गए हो,
तुम्हारा काम मुश्किल कार्यों को कर
सिर्फ सेवा देना ही था,
उनका कार्य ठसके से बैठ पूरे मजे लेना था,
मगर गुजरे मुश्किलातों को
भूलने की तुम्हें भयंकर बीमारी है,
तभी तो हर हमेशा होती रहती
हर स्थल पर बार बार छिछालेदारी है,
इतनी बेइज्जती होने के बाद भी
गुजरा हुआ जमाना भूल जाते हो,
तो ऐ दमित,शोषित
गुजरी बातों को बिल्कुल मत भूलना,
वक्त आये तो पाई पाई वसूलना।
— राजेन्द्र लाहिरी