अधूरा लगता है
तेरे बग़ैर ये दिल सुना-सुना सा लगता है,
हर एक लम्हा जैसे अधूरा अधूरा सा लगता है।
तेरी बातें हवा से पूछते हैं आजकल हम,
तेरा नाम भी अब हमें रुला देता है।
चाँदनी रातें भी अब जला देती हैं हमें,
कभी जो रोशनी थी, अब अँधेरा सा लगता है।
वो जो कहते थे कभी कि नहीं छोड़ेंगे हम,
आज उसी का साया भी पराया सा लगता है।
हमने तो अपनी जान भी दे दी थी तुझपे,
तू गयी तो जीना भी अब गुनाह सा लगता है।
— रूपेश कुमार