राजनीति

साइबर ठगी अपराधियों की अब खैर नहीं- ई-ज़ीरो एफआईआर योजना शुरू

वैश्विक स्तरपर दुनियाँ का हर देश जैसे -जैसे डिजिटाइजेशन सिस्टम की ओर तेजी से बढ़ रहा है उसी तेजी से डिजिटल फ्रॉड जिसे हम साइबर ठगी कहते हैं,भी बढ़ते जा रहे हैं, उससे निपटने के लिए अनेकों राज्यों में साइबर क्राइम एंड कमांड सेंटर की स्थापना की गई है जहां अलग-अलग एरियाओं में फ्रॉड हुए मामलों को दर्ज करते हैं, जिसमें अनेकों कठिनाइयों का सामना पड़ता है जहां ठगी हुई है उसका जूरिडिक्शन एरिया कौन सा है, यह पता करो, फिर वहां जाकर साइबर विभाग में एफआईआर को दर्ज कराना पड़ता है। आज हम देखते हैं कि एक मेट्रोपॉलिटन नागरिक से लेकर छोटे-छोटे गांव तक और प्लेन उड़ाने वालों से लेकर साइकिल रिक्शा चलाने वालों तक के पास मोबाइल है, तो इंडस्ट्री चलाने वालों से लेकर रेहड़ी-पटरी खोमचे चलाने वालों तक के पास भी मोबाइल है, और आज करीब करीब सभी कुछ ना कुछ व्यवहारों के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट देते लेते रहते हैं जिससे अनेकों आदमी साइबर क्राइम यानें ठगी  का शिकार हो जाते हैं। मेट्रोपॉलिटन नागरिक या फिर  उद्योग से जुड़े लोगों को तो कुछ नॉलेज होने के कारण वो एफआईआर दर्ज कर देते हैं परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में रेहड़ी  पटरी चलाने वालों, मज़दूरों के साथ कुछ फ्रॉड होता है तो उन्हें उनकी एफआईआर करने की जानकारी व कार्रवाई करने के लिए कार्यवाही करने का पता या समय नहीं होता, इसलिए वे शिकायत नहीं कर पाते छोड़ देते हैं, इन्हीं सभी कठिनाइयों को देखते हुए केंद्र सरकार के भारतीय साइबर अपराध समन्वय  केंद्र (आई4सी) के अंतर्गत दिनांक 19 मई 2025 को ई-ज़ीरो एफआईआर शुरू की गई है जो फिलहाल तो केवल दिल्ली तक ही सीमित है, हालांकि आगे चलकर इसे पूरे भारतवर्ष में लागू किया जाएगा जो साइबर ठगी से पीड़ित, व्यक्तियों के लिए काफी हद तक मददगार सिद्ध होगी।चूँकिवित्तीय ठगी अपराधों के पीड़ितों के गए हुए पैसे वापस हासिल करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में नई ई-ज़ीरो फिर सटीक मदद करेगी, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, साइबर ठगी अपराधियों की अब खैर नहीं, अपराधियों को जल्दी पकड़ने के लिए केंद्र सरकार ने नई ई-ज़ीरो एफआईआर योजना शुरू की। 

साथियों बात अगर हम दिनांक 19 मई 2025 को माननीय केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा ई-ज़ीरो एफआईआर योजना को शुरू करने की करें तो उन्होंने कहा है कि गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने अभूतपूर्व गति से अपराधियों को पकड़ने के लिए नई ई-ज़ीरो एफआई आर पहल शुरू की है। अपने ‘एक्स’ पोस्ट में कहा कि दिल्ली के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया यह नया सिस्टम, एनसी आरपी या 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वतः एफआईआर में परिवर्तित करेगा, शुरू में यह 10 लाख रूपए से ऊपर की सीमा के लिए होगा। नया सिस्टम जांच में तेजी लाएगा, जिससे साइबर अपराधियों पर सख्ती हो सकेगी, जल्द ही इसका विस्तार पूरे देश में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार साइबर- सुरक्षित भारत बनाने के लिए साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत कर रही है।पीएम के ‘साइबर सुरक्षित भारत’ के विजन को पूरा करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आई4सी की हाल की समीक्षा बैठक में साइबर वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को गँवाए हुए धन को वापस हासिल करने में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए इस पहल को लागू करने के निर्देश दिए थे। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 ने साइबर वित्तीय अपराधों से संबंधित शिकायतों की आसान रिपोर्टिंग और त्वरित कार्रवाई को सक्षम बनाया है। शुरू की गई नई प्रक्रिया में आई4सी के एनसीआरपी सिस्टम, दिल्ली पुलिस के ई-एफआईआर सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम का एकीकरण शामिल है। इसे तुरंत संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों को भेजा जाएगा। शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआई आर में परिवर्तित कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस और आई4सी, गृह मंत्रालय ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता  की धारा 173  के नए प्रावधानों के अनुसार मामलों के पंजीकरण के लिए एक प्रक्रिया स्थापित करने के लिए मिलकर काम किया है। प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र पर ध्यान दिए बिना इलेक्ट्रॉनिक रूप से एफआईआर जारी करने की प्रक्रिया  शुरू में दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगी। बाद में इसे अन्य राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा। दिल्ली के ई- क्राइम पुलिस स्टेशन को एनसीआरपी पर दर्ज विशिष्ट प्रकृति की साइबर अपराध शिकायतों के लिए ई- एफआईआर दर्ज करने और उन्हें क्षेत्रीय पुलिस स्टेशनों में स्थानांतरित करने के लिए अधिसूचित किया गया है। यह पहल एनसीआरपी/1930 शिकायतों को एफआईआर में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में सुधार करेगी, जिससे पीड़ितों के गँवाए हुए धन की आसान वसूली होगी और साइबर अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई को सुगम बनाया जाएगा। इसमें हाल ही में लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों का लाभ उठाया गया है। बता दें कि आई4सी की स्थापना गृह मंत्रालय ने दिल्ली में की थी, ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को समन्वित और व्यापक तरीके से साइबर अपराध से निपटने के लिए एक ढांचा और पारिस्थिति की तंत्र प्रदान किया जा सके। आई4सी की परिकल्पना देश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए नोडल बिंदु के रूप में की गई है। 

साथियों बात अगर हम साइबर अपराधों से निपटने तंत्र को मज़बूत करने केंद्र सरकार द्वारा अनेकों कदम उठाने की करें तो, भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मुख्य रूप से अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से साइबर अपराध सहित अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं और पुलिस स्टेशनों की क्षमता बढ़ाते हैं। केंद्र सरकार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की पहलों और उनके एलईए की क्षमता निर्माण में सलाह और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार ने अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कदम उठाए हैं: (1) गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में आई4सी की स्थापना की है।(2) आई 4सी के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ लॉन्च किया गया है,ताकि जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाएं, उनका एफआईआर में रूपांतरण और उसके बाद की कार्रवाई कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की जाती है। सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं। (3) वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए आई4सी के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ वर्ष 2021 में शुरू की गई है। अब तक 13.36 लाख से अधिक शिकायतों में 4,386 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज कराने में सहायता के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 शुरू किया गया है। (4) राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के जांच अधिकारियों को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए, आई4सी के एक भाग के रूप में, नई दिल्ली में अत्याधुनिक राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित लगभग 11,835 मामलों में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के एलईए को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। (5) साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए आई4सी के तहत बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्लेटफ़ॉर्म, जिसका नाम ‘साइट्रेन’ पोर्टल है, विकसित किया गया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 1,02,276 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और पोर्टल के माध्यम से 79,904 से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। (6) गृह मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक- सह- प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की भर्ती और एलईए के कर्मियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसे क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह- प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ चालू की गई हैं और 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जाँच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। (7) उभरते साइबर खतरों से निपटने के लिए, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सीएपीएफ के लिए हर शुक्रवार को साप्ताहिक ऑनलाइन सहकर्मी-शिक्षण सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिसमें साइबर अपराध के रुझान, जांच तकनीक और जवाबी उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। अब तक 98 सहकर्मी-शिक्षण सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। (8) 3,785 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों, लोक अभियोजकों और फोरेंसिक वैज्ञानिकों को आवासीय प्रशिक्षण दिया गया है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि साइबर ठगी अपराधियों की अब खैर नहीं-अपराधियों को जल्दी पकड़ने के लिए केंद्र सरकार ने नई ई-ज़ीरो एफआईआर योजना शुरू की वित्तीय हानियों से संबंधित शिकायतें स्वचालित रूप से ई क्राइम थाने में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज होगी- शिकायतकर्ता 3 दिनों में जीरो को नियमित एफआईआर में परिवर्तन कर सकते हैं।वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को गवाए हुए पैसों को वापस हासिल करने में आने वाली कठिनाइयों को नई ई-ज़ीरो एफआईआर सटीक मदद करेगी।

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया

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