कविता

कविता

प्रण लेकर सरहद पे खड़े हैं हम सीना तान
भारत मां के बेटे हैं हम,
रहते हैं बार्डर पे बब्बर शेर के समान।
चाहे हो तपती रेत रेगिस्तानों की
चाहे हो कश्मीर की सर्दी वाली रात
सामने हो मक्कार -गद्दार चीन या पाकिस्तान,
खड़ा हूं हमेशा बम, बारूद,ब्रम्होत्र, मिसाइलें तान।
हम हैं नये भारत के वीर जवान
मजबूत है मेरी शक्ति ,ईरादा और ईमान
ऐ दुश्मनों तू कोई ग़लत हरकत न करना
वर्ना तेरे घर में घुसकर तुझे ठोंकु़गा,
ये है मेरा ऐलान।
मैं खेलता हूं खून की होली
मनाता हूं बारूद के संग दीवाली
आने न दूंगा तूझे इसपार
होश में रहना तू करता हूं मैं खबरदार।
जय हिन्द। जय भारत।

— मृदुल शरण

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