कविता

देशभक्ति बिक रही

बाहर से हमला हो तो खून खौले,
यहाँ तो घर के भीतर चाकू चले।
सैनिक सरहद पे जान दे आया,
पीछे से कोई फ़ाइलों में देश बेच आया।

वर्दी में जो था, वो नक़्शा लीक कर गया,
जो बेरोज़गार था, वो लिंक पर क्लिक कर गया।
चंद रुपयों में “माँ” का आँचल गिरवी रख दिया,
वो सोचता रहा—”बस एक फोटो ही तो भेजा है!”

हमारी शिक्षा ने पाठ तो बहुत पढ़ाए,
पर राष्ट्रभक्ति कहाँ पढ़ाई, बताओ भाई?
मोबाइल हाथ में दिया, मनोबल नहीं,
डिग्री दी, लेकिन विवेक नहीं।

सोशल मीडिया का मोह जाल है गहरा,
फर्ज़ और फ़रेब में फर्क नहीं दिखता चेहरा।
‘हनी ट्रैप’ में पड़े लड़के कहते हैं,
“वो तो बस प्यार था, देश का क्या कसूर था?”

जो ट्रेन की पटरियाँ देख रहा था,
वो दुश्मन की आँखें बन बैठा।
जो स्कूल में पढ़ा रहा था,
वो व्हाट्सऐप पर नक़्शा भेज बैठा।

ये कैसा दौर है, जहाँ
देशभक्ति बिक रही है डिजिटल डिस्काउंट में,
और सुरक्षा नीतियाँ वायरल हो रही हैं
टेलीग्राम अकाउंट में!

— प्रियंका सौरभ

*प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) facebook - https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/ twitter- https://twitter.com/pari_saurabh

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