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फर्क नहीं पड़ना

फर्क नहीं पड़ना


क्या आप किसी को बताना पसंद करेंगे 
या यूँ ही मन में गुबार सहेजें रहेंगे,
आपकी नाराजगी का आधार क्या है?
या मान लें कलयुग का यही सार है।
आपके मुँह मोड़ने का आखिर कारण क्या है?
जिसे बताना आप उचित समझते ही नहीं 
यूँ तो आपको विवश करने का मेरा कोई इरादा भी नहीं।
पर इतना तो जरूर कहूँगा
कि जिद के भ्रमजाल में मत फँसिए,
यह और बात कि यदि खुद के 
सर्वाधिक बुद्धिमान होने का अनायास ही भूत सवार है, तो कोई बात नहीं है,
पर इतना तो जान लीजिए 
आने वाले कल में अपने आपको 
बड़ी मुश्किलों के लिए खुद को तैयार रखिए।
जाने-अंजाने आपने जो गुनाह किये हैं 
और अब भी उसे उसे दोहराते जा रहे हैं,
सच मानिए- कल में आप सिर्फ अकेले रह जाएंगे,
अपने आसपास हमें तो क्या किसी को भी नहीं पायेंगे।
जिसके जिम्मेदार भी आप खुद होंगे 
क्योंकि तब तक तो आप 
औरों की भावनाओं से खेलने वाले बड़े सूरमा होंगे।
कोई आप का मान-सम्मान करता है 
आपके दुःख-सुख में भागीदार होता है 
इसका मतलब ये तो नहीं 
कि वो सिर्फ अपने स्वार्थ की आड़ में ही ऐसा करता है।
 सच तो यह है कि वो आपको अपना समझता है 
आपसे रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ता है, 
जिसमें सिर्फ आत्मीयता और संवेदनाएँ होती हैं 
भले ही उसका आपसे खून का कोई रिश्ता नहीं होता है,
फिर भी गंगाजल की तरह पाक-साफ होता है।
खून के रिश्ते भी आजकल कौन सा तीर मार रहे हैं,
वो भी अपनों को ही सबसे ज्यादा टीस दे रहे हैं 
अब यह आपको सोचना है कि आगे क्या करना है?
किसी को आँसू देकर घमंड में चूर रहकर
औरों को नीचा दिखाना है 
या मानवीय संवेदनाओं की नई इबारत लिखना है
फैसला भी आपको करना है 
क्योंकि ये आपका स्वतंत्र अधिकार है 
इससे अधिक मुझे कुछ और नहीं कहना है।
जीवन आपका है मित्रवर
कैसे जीना है, यह आपको ही सोचना है,
बहुत रो लिया अब वो आपकी खातिर 
आप चाहें भी तो उसे आपसे बहुत दूर ही रहना है,
आप हँसते हैं या रोते, उसे ही क्या 
मुझे और किसी को भी अब कोई फर्क नहीं पड़ना है।

सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र) 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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