बाल गीत
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
सुनों बच्चो किनारे तक संवरना है पढ़ाई में।
किसी बादल की भांति लेके उच्च शिक्षा के पानी को।
लगा देना है मेहनत साथ सारी ही जवानी को।
ऋतुरोहित गगन के बीच धरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
यथार्थ साथ जीना है यथार्थ साथ मरना है।
शब्द बाणी को कर के कंठ अपने मन को भरना है।
बुरे अवसर बुरे कर्मों से डरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
अंधेरा खुद-ब-खुद ही ज़िंदगी से दौड़ जाएगा।
तुम्हारे दिल में फिर उगता सवेरा ज्ञान पाएगा।
किसी सूरज की भांति तपस जरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
ना अपने वक्त को बर्बाद करना शून्य में रह कर,
धरा में बीज उगता है सदा कुछ मुश्किलें सह कर।
लगा कर दिल पढ़ोगे गर तो सरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
कदम-दर-कदम मंज़िल की तरफ बड़ते ही जाना है।
बड़ी मुश्किल भी आ जाए सदा मकसद को पाना है।
कभी यह सोचना भी मत कि हरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
बड़ी छोटी सी है यह ज़िंदगी इस को संवारोगे।
तभी तो चांद पर जा कर नई खेती उगाओगे।
दिमाग़ी कूप धैर्य साथ भरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
सदा खुशहाली हरियाली रहेगी ज़िंदगी अन्दर।
कहे बालम बड़ी शक्ति मिलेगी बंदगी अन्दर।
सुखद उपलब्धियों का सफल झरना है पढ़ाई में।
तपस्या योग का प्रयोग करना है पढ़ाई में।
— बलविन्दर बालम