कहानी

ऊँचाइयों को छूने का मार्ग: सकारात्मक सोच

पदमपुर गाँव में एक छोटा सा घर था, जिसमें बाबूलालजी एवं उनकी पत्नी निर्मला अपने दो बच्चों के साथ रहते थे। बेटी का नाम रेखा और बेटे का नाम पवन था। बहुत ही साधारण परिवार था। खेती-बाड़ी से गुजर-बसर हो जाती थी। बाबूलालजी ने अपने बच्चों को संस्कार भी अच्छे दिए थे। परन्तु दोनों भाई-बहन की सोच में बड़ा अंतर था। रेखा हमेशा सकारात्मक सोच रखती थी और मुश्किलों का सामना सदैव हँसते हुए करती थी, जबकि पवन उससे विपरीत स्वभाव का था। उसे किसी भी कार्य को करने में सिर्फ नकारात्मकता ही नजर आती थी।
एक दिन गाँव के सरपंच ने सभी गाँव वालों को पंचायत में बुला कर कहा कि इस बार अपने गाँव में गणेष चतुदर्षी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा तथा गाँव के प्रत्येक सदस्य को इस उत्सव में स्वेच्छा से भाग लेना पड़ेगा। पंचायत में आये सभी सदस्यों ने एक स्वर में इसमें अपनी-अपनी सहभागिता निभाने का नारा लगाया। यह बात जब रेखा को पता चली तो उसने सोचा कि यह तो बहुत अच्छा अवसर है। उसने इस आयोजन में सहयोग एवं इसको सफल बनाने की तैयारी में पूरी मेहनत से जुट जाने का निर्णय लिया। उत्सव के प्रत्येक कार्य को वह उत्साह और उम्मीद के साथ करती गई। वह चाहती थी कि यह आयोजन शानदार हो और सभी गाँव वालों के साथ-साथ बाहर से आने वाले दर्षनार्थी भी इसे देखकर खुष हो।
अपनी बड़ी बहन रेखा को इस उत्सव के आयोजन की तैयारियों में जुटा देखकर छोटे भाई पवन ने कहा- “अरे दीदी! तुम इतनी मेहनत क्यों कर रही हो? ऐसा करने से तुम्हें क्या लाभ होगा? हम गरीब एवं साधारण परिवार से है। इस उत्सव को देखने के लिए कई लोग आएंगे, लेकिन हम पर कोई ध्यान ही नहीं देगा, जिससे हमें सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी।”
रेखा ने उसकी बातों को नजरअंदाज किया और अपने काम में जी-जान से जुट गई। वह अपने काम को खुशी-खुषी करती रही। सरपंचजी ने गाँव की ही एक षिक्षित महिला श्रीमती सरोजजी को आयोजन की तैयारी देखने की जिम्मेदारी सौंपी। रेखा को उत्साह के साथ आयोजन की तैयारी करते देख वह उसके पास आई और दोनों भाई-बहिन की बातें सुनने लगी। कुछ समय पष्चात् उन दोनों के पास आकर रेखा को सम्बोधित करते हुए कहा कि- “रेखा! इस आयोजन के प्रति तुम्हारी सकारात्मक सोच बहुत प्रेरणादायक है और इसी तरह तुम अपने जीवन में आगे बढ़ती रहो।’’ तत्पष्चात् उन्होंने पवन की ओर देखते हुए उससे कहा कि- ‘‘पवन! तुम्हारी नकारात्मक सोच ही तुम्हारी प्रगति में बाधक है तथा वह तुम्हें खुशियों से दूर ले जा रही है। तुम्हें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है।”
पवन ने उनकी बातों को गौर से सुना लेकिन तुरंत ही मन में सोच लिया कि यह सब तो केवल कहने की बातें हैं। वह आयोजन के दिन की चिंता करने लगा। आयोजन का दिन आया और सब कुछ सुचारु रूप से चल रहा था। गाँव एवं आसपास के लोग खुशी-खुशी इस आयोजन में पहुंचे और इस उत्सव को देखकर बहुत खुश हुए। रेखा ने इस सुन्दर आयोजन में सक्रिय सहभागिता के लिए प्रथम स्थान प्राप्त किया और गाँव वालों ने उसकी मेहनत को भी खूब सराहा।
पवन ने देखा कि आयोजन की सफलता और लोगों की खुशी को देखकर उसकी चिंता बिल्कुल गलत थी। वह सोचने लगा कि काष अगर मैं भी अपनी बहन की तरह सकारात्मक सोच रखता और इस उत्सव में अच्छे से हिस्सा लेता तो शायद मुझें भी पुरस्कार मिलता।
उस शाम पवन ने रेखा से कहा- “बहन, तुम्हारी सकारात्मक सोच और मेहनत ने न केवल इस आयोजन को सफल बनाया साथ में तुम्हें प्रथम स्थान भी दिलाया। मैं भी अपनी सोच को बदलने की कोशिश करूंगा।”
रेखा ने मुस्कुराते हुए कहा- “भाई, तुम्हारी इस बात को सुनकर मैं बहुत खुष हूँ क्योंकि जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच ही हमें नई संभावनाओं की ओर ले जाती है। नकारात्मक सोच केवल हमें निराश करती है। तुम भी अपनी सोच बदलोगे तो तुम्हारे जीवन में भी बदलाव आएगा।”
श्रीमती सरोज कुमारी ने भी कहा- “जब तुम अपने विचारों को सकारात्मक बनाते हो, तो तुम जीवन की कठिनाइयों को भी एक चुनौती के रूप में देख सकते हो, जो तुम्हें और मजबूत बनाती है।’’
पवन ने अब यह समझ लिया कि उसकी नकारात्मक सोच ही उसकी समस्याओं का कारण थी। उसने अपने सोच को सकारात्मक बनाने का संकल्प लिया और अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने लगा ।
मित्रों! इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सकारात्मक सोच ही जीवन को खुशहाल और सफल बनाती है। जब हम अपनी सोच को सकारात्मक रखते हैं, तो जीवन में आने वाली प्रत्येक कठिनाइयों का सामना हम आसानी से कर सकते हैं एवं इसी सकारात्मक सोच से प्रतिदिन खुशियों का अनुभव कर सकते हैं। नकारात्मक सोच केवल हमें निराश करती है, जबकि सकारात्मक सोच हमें नई ऊँचाइयों की ओर ले जाती है। इसलिए हमें अपनी सोच को सदैव सकारात्मक बनाकर ही जीवन में खुशियाँ और सफलता प्राप्त करनी चाहिए।

— राजीव नेपालिया (माथुर)

राजीव नेपालिया

401, ‘बंशी निकुंज’, महावीरपुरम् सिटी, चौपासनी जागीर, चौपासनी फनवर्ल्ड के पीछे, जोधपुर-342008 (राज.), मोबाइल: 98280-18003

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