ग़ज़ल
माना सच कहना इतना आसान नही है भाई जी
पर कायर इंसानों का कुछ मान नही है भाई जी
जो सचमुच में ज़िन्दा हैं वे ही आवाज़ उठाएंगे
वो कैसे बोलेंगे जिनमे जान नही है भाई जी
ग़ैरों को अपना कहने की जल्दी साफ़ बताती है
तुमको दुनियादारी की पहचान नही है भाई जी
उसकी दी साँसों से ज्यादा दो भी साँस ख़रीद सके
दुनिया में कोई इतना धनवान नही है भाई जी
तुमको लगता है पैसों के बदले में पा जाओगे
इज्ज़त है परचूने का सामान नही है भाई जी
जो इंसां का ख़ून बहाने को जेहाद बताते हैं
उन शैतानो का कोई ईमान नही है भाई जी
जिसको औरों के दुख का अहसास नही होता बंसल
वो जो कुछ भी हो लेकिन इंसान नही है भाई जी
— सतीश बंसल