लघुकथा

सिंगल मदर

“बैठिए।”
“थैंक्स मैडम।”
“बच्ची की उम्र कितनी है?”
“पाँच साल।”
“नाम ?”
“सुनीता दास।”
“आपकी बेटी है?”
“जी, मेरी बेटी है।”
ßअपना और बच्ची के पिताजी का नाम बताएँ।” “सुजाता दास।”
“पिताजी का नाम बताए, प्लीज।”
“कहा तो मैडम!”
“मतलब?”
“मैं सिंगल मदर हूँ।”
“लेकिन स्कूल के नियमानुसार बच्ची के माता और पिता के नाम दर्ज करना जरूरी है।”
“संविधान के अनुसार बच्चों के परिचय के लिए माता का नाम ही पर्याप्त है।”
“लेकिन आपको नहीं लगता कि आपकी बच्ची की सामाजिक सुरक्षा में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जलील होने की आशंका है।”
“नहीं, बिल्कुल नहीं। बेटी से उनके पिताजी का नाम पूछकर तो देखिए।”
“सुनीता! तुम्हारे पिताजी का क्या नाम है?” शिक्षिका ने पूछा।
“सुजाता दास।”
“ठीक है। वेलकम टू माई स्कूल।”

— निर्मल कुमार डे

*निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड nirmalkumardey07@gmail.com