सामाजिक

लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए।

किसी भी ऊंचाई पर पहुंचने के लिए, हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। यह हमारे संस्कार, परंपराएं और मूल्यों को दर्शाता है।
जैसे फूल को खिलने के लिए मिट्टी की जरूरत होती है, वैसे ही हमें भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए।
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए, हमें अक्सर ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करनी पड़ती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए, हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना क्यों जरूरी है?
एक फूल की कहानी से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि जड़ों से जुड़े रहने का क्या महत्व है। जब एक फूल खिलता है, तो वह अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है। जड़ें फूल को पोषण और समर्थन प्रदान करती हैं, जिससे वह मजबूत और स्वस्थ रहता है।
लेकिन अगर फूल अपनी जड़ों से अलग हो जाए, तो वह जल्दी ही मुरझा जाएगा और उसकी सुंदरता खो जाएगी। यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है।
जड़ों से जुड़े रहने से हमें स्थिरता और मजबूती मिलती है। हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत आधार बना सकते हैं।
जड़ें हमें पोषण और समर्थन प्रदान करती हैं। हमारे परिवार, मित्र और समाज हमें समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
जड़ों से जुड़े रहने से हमें अपने संस्कार और परंपराएं याद रहती हैं। हम अपने पूर्वजों की परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ा सकते हैं।जड़ों से जुड़े रहने से हमें आत्म-विश्वास और पहचान मिलती है। हम अपनी जड़ों को जानकर अपनी पहचान को मजबूत बना सकते हैं।
जड़ों से जुड़े रहने का महत्व जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलना चाहिए और हमेशा अपने परिवार, मित्र और समाज से जुड़े रहना चाहिए। इससे हमें स्थिरता, मजबूती, पोषण, समर्थन, संस्कार, परंपराएं, आत्म-विश्वास और पहचान मिलती है।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज 

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

पिता का नाम: अशफ़ाक़ अहमद शाह जन्मतिथि: 24 जून जन्मस्थान: ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा, मध्य प्रदेश कर्मभूमि: हरदा, मध्य प्रदेश स्थायी पता: मगरधा, जिला हरदा, पिन 461335 संपर्क: मोबाइल: 9993901625 ईमेल: dr.m.a.shaholo2@gmail.com शैक्षिक योग्यता एवं व्यवसाय शिक्षा,B.N.Y.S.बैचलर ऑफ़ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस. बी.कॉम, एम.कॉम बी.एड. फार्मासिस्ट आयुर्वेद रत्न, सी.सी.एच. व्यवसाय: फार्मासिस्ट, भाषाई दक्षता एवं रुचियाँ भाषाएँ, हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी रुचियाँ, गीत, ग़ज़ल एवं सामयिक लेखन अध्ययन एवं ज्ञानार्जन साहित्यिक परिवेश में रहना वालिद (पिता) से प्रेरित होकर ग़ज़ल लेखन पूर्व पद एवं सामाजिक योगदान, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल, मगरधा पूर्व प्रधान पाठक, उर्दू माध्यमिक शाला, बलड़ी ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी कम्युनिटी हेल्थ वर्कर, मगरधा साहित्यिक यात्रा लेखन का अनुभव: 30 वर्षों से निरंतर लेखन प्रकाशित रचनाएँ: 2000+ कविताएँ, ग़ज़लें, सामयिक लेख प्रकाशन, निरन्तर, द ग्राम टू डे, दी वूमंस एक्सप्रेस, एजुकेशनल समाचार पत्र (पटना), संस्कार धनी (जबलपुर),जबलपुर दर्पण, सुबह प्रकाश , दैनिक दोपहर,संस्कार न्यूज,नई रोशनी समाचार पत्र,परिवहन विशेष,समाचार पत्र, घटती घटना समाचार पत्र,कोल फील्ड मिरर (पश्चिम बंगाल), अनोख तीर (हरदा), दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद, नगर कथा साप्ताहिक (इटारसी) दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार, दैनिक जागरण, मंथन (बुरहानपुर), कोरकू देशम (टिमरनी) में स्थायी कॉलम अन्य कई पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित प्रकाशित पुस्तकें एवं साझा संग्रह साझा संग्रह (प्रमुख), मधुमालती, कोविड, काव्य ज्योति, जहाँ न पहुँचे रवि, दोहा ज्योति, गुलसितां, 21वीं सदी के 11 कवि, काव्य दर्पण, जहाँ न पहुँचे कवि (रवीना प्रकाशन) उर्विल, स्वर्णाभ, अमल तास, गुलमोहर, मेरी क़लम से, मेरी अनुभूति, मेरी अभिव्यक्ति, बेटियां, कोहिनूर, कविता बोलती है, हिंदी हैं हम, क़लम का कमाल, शब्द मेरे, तिरंगा ऊंचा रहे हमारा (मधुशाला प्रकाशन) अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा, तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी (जील इन फिक्स पब्लिकेशन) व्यक्तिगत ग़ज़ल संग्रह: तुम भुलाये क्यों नहीं जाते तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें तेरा इंतज़ार आज भी है (नवीनतम) पाँच नए ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन सम्मान एवं पुरस्कार साहित्यिक योगदान के लिए अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त पाठकों का स्नेह, साहित्यिक मंचों से मान्यता मुश्ताक़ अहमद शाह जी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे हिंदी-उर्दू साहित्य जगत के लिए गर्व का विषय है। आपकी लेखनी ने समाज को संवेदनशीलता, प्रेम और मानवीय मूल्यों से जोड़ा है। आपके द्वारा रचित ग़ज़लें और कविताएँ आज भी पाठकों के मन को छूती हैं और साहित्य को नई दिशा देती हैं।