बीता वक्त
एहसासों के झुरमुट में बीता वक्त डोलता है,
कुछ जिंदा कुछ खत्म हुई यादों में पनपता है,
समय की कसौटी पर उलझने सुलझने लिए,
बीता वक्त मौन तोड़ मन को पीछे मोड़ देता है ।
करीने से जिसे संभालना था वो हवा हो जाता है,
जिसपे डालनी रोशनी थी वो अंधकार हो जाता है,
आज से जुदा हो कश्मकश और चेहरे पर भाव दे,
बीता वक्त समंदर की गहराई में कहीं खो जाता है ।
बिछुडना उसका हर पल रह रह कर सताता है,
नजरंदाज किया जिसे दिल में टीस दे जाता हैं,
भीतर से खाली कर जिंदगी को आगे बढ़ा कर,
बीता वक्त हाथ से फिसल बस रेत हो जाता है ।
“आनंद” बना रहे, वक्त तो सुख-दुख लाता है,
भूतकाल बना हर पल को गुनगुनाता जाता है,
नींव मजबूत होगी तो ही मौसम खुशनुमा होंगे,
वरना बीता वक्त जिंदगी ही ख़ामोश कर जाता है ।
सुखद पलों से प्यार चुरा भविष्य को सजाता है,
हौसला हिम्मत बढ़ा आत्मविश्वास को जगाता है,
समय चक्र के सामंजस्य से सटीक सांठ-गांठ बैठा,
बीता वक्त कर्म को जंजीर बना सफलता दिलाता है ।
— मोनिका डागा “आनंद”