मुस्कराहट के लिए
-सुना है बेटा कि तुम सरिता की पसंद के रिश्ते को मना करके आए हो !
-जी पिता जी, क्योंकि वह दूसरी बिरादरी से है !
-एक बात बताओ ?
-क्या पिता जी ?
-क्या लडके की सैलरी तुम्हारे अनुमान से काफी कम है ?
-नहीं,उसकी सैलरी हमारी उम्मीदों से ज्यादा है !
-क्या उसके परिवार का स्टेटस तुम्हारे परिवार से कम है ?
-नहीं,वह परिवार हमारे से ज्यादा समृद्ध है.
-क्या दोनों बच्चों की आयु में अन्तर ज्यादा है ?
-नहीं वह भी ठीक है.
-मतलब यह हुआ कि लड़का यदि तुम्हारी बिरादरी का होता तो इस रिश्ते को तुम हां कर देते.
-जी पिता जी.
-तुम्हें याद होगा कि सरिता जब पांच साल की थी तो उसके जिद करने पर रात 11 बजे तुमने रात्रि बाज़ार में जाकर उसे पीज़ा खिलवाया था.
-जी पिता जी.
-उसके थोड़ी बड़ी होने पर उसके चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए तुमने उसे साइकिल व अभी कालिज में प्रवेश के समय उसे स्कूटी भी दिलवाई थी.
-जी पिता जी. उसके चेहरे पर मुस्कराहट देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ !
-तो फिर अब देर क्यों कर रहे हो ?
— विष्णु सक्सेना