स्वदेशी निर्मित बी.एफ.एस ने भरा हैं दम
आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में उठा हैं एक बड़ा कदम,
अभी स्वदेशी निर्मित बी.एफ.एस ने भरा हैं दम।
उन पाँच महिला विज्ञानियों ने विकसित किया है,
मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को नया जन्म दिया हैं।
स्थानीय स्तरों मौसम की सटीक माहिती मिलेगी,
कोई नुकसान नहीं होगा हँसी चेहरों पर खिलेगी।
आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में उठा हैं एक बड़ा कदम,
अभी स्वदेशी निर्मित बी.एफ.एस ने भरा हैं दम।
छ: किलोमीटर के दायरे में मौसम के पूर्वानुमान,
क्षमता हासिल कर भारत दुनिया का पहला देश!
अब बदल जाएगा हर एक शहर का भी परिवेश,
मौसम पूर्वानुमान प्रणाली में अग्रणी हो समावेश।
आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में उठा हैं एक बड़ा कदम,
अभी स्वदेशी निर्मित बी.एफ.एस ने भरा हैं दम।
पिछले तीन वर्षों से इस पर चल रहा था ये काम,
भा.उ.क.मौसम विज्ञान संस्थान देते हैं परिणाम।
अभी देशभर में 40 डॉप्लर मौसम रडारों नेटवर्क,
भविष्य में रडारों की संख्या सौ होगी करेंगे वर्क।
आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में उठा हैं एक बड़ा कदम,
अभी स्वदेशी निर्मित बी.एफ.एस ने भरा हैं दम।
ये मानसून ट्रैकिंग, उड्डयन, चक्रवात की निगरानी,
आपदा प्रबंध, कृषि, जलमार्ग, रक्षा, बाढ़ न हानि।
बी.एफ.एस से आंधी, तूफान, बारिश की कहानी,
हाँ होंगे सतर्क मिलेगी खूब मदद बरतें सावधानी।
(संदर्भ : पुणे स्थित आइआइटीएम यानी भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने यह प्रणाली विकसित की है.)
— संजय एम तराणेकर