आत्म भीति
कुछ लोग संतुष्ट हैं
बस अपने ही अहम से
न कि दूसरों की विनम्रता से।
कुछ लोग डरते
बस सुनी-अनसुनी बातों से
न कि दूसरों की हुकूमत से।
कुछ लोग खोखले हैं
बस अपने दर्प से
न कि दूसरों की प्रभुता से।
कुछ लोग खौफ में है
बस अपनी आशंकाओ से
न कि दूसरों की आधिपत्य से।
कुछ लोग आशंकित है
बस अपनी ही अवधारणाएँ से
न कि दूसरों की संकल्पनाएँ से।
— डॉ. राजीव डोगरा