कविता

आत्म भीति

कुछ लोग संतुष्ट हैं
बस अपने ही अहम से
न कि दूसरों की विनम्रता से।

कुछ लोग डरते
बस सुनी-अनसुनी बातों से
न कि दूसरों की हुकूमत से।

कुछ लोग खोखले हैं
बस अपने दर्प से
न कि दूसरों की प्रभुता से।

कुछ लोग खौफ में है
बस अपनी आशंकाओ से
न कि दूसरों की आधिपत्य से।

कुछ लोग आशंकित है
बस अपनी ही अवधारणाएँ से
न कि दूसरों की संकल्पनाएँ से।

— डॉ. राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233

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