गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

अहंकार की विष बेल ने कब अमृत बरसाया है ,
बूढा हुआ बरगद तो क्या, छाया से अपनी महकाया है।

सतयुग हो या द्वापर युग त्रेता युग हो या कलयुग ,
झूठे अहंकार ने पृथ्वी पर सबका गर्व ढहाया है ।

जीवन है एक पाठशाला मृत्यु जीवन का अमिट सत्य ,
जानकर भी परम सत्य को इंसा अहम में भरमाया है ।

रावण जैसा वीर पराक्रमी मिट गया झूठे अहम में ,
दुर्योधन के सत्य ने भी इतिहास का सच समझाया है ।

न कुछ तेरा न कुछ मेरा दुनिया है एक रैन बसेरा ,
तज दे अपने अहम को प्राणी ये जीवन सिर्फ मोह माया है ।

अहंकार की विष बेल ने कब सत्य का पथ दिखाया है ,
प्रेम ही है जीवन का शाश्वत सत्य कृष्ण ने यही समझाया है ।

— वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017

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