मुक्तक/दोहा मुक्तक *पावनी दीक्षित 'जानिब' 30/05/202530/05/2025 0 Comments महसूस न हो जब दर्द कोईआंखों की नमी जब सूख गईजब दिल ही पत्थर बन बैठातो दिल पर पत्थर क्या रखना।— पावनी जानिब सीतापुर