अच्छे लोगों पर एतमाद करना सीखें
हमारी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा दो मरहलों में गुज़र जाता है।
एक तरफ़ हम ग़लत लोगों से उम्मीदें जोड़ लेते हैं और बार-बार मायूस होते हैं,
दूसरी तरफ़ जब अच्छे लोग मिलते हैं, तो पिछले तजुर्बों की वजह से उन पर भी शक करने लगते हैं।
यह इंसानी फ़ितरत है कि हम अपने तजुर्बों की बुनियाद पर फैसले करते हैं,
लेकिन असल दानिशमंदी यही है कि हम गुजरे हुए वक्त से सीखें,
मगर हर इंसान को उसके अपने अमल से परखें।
ज़िंदगी की खूबसूरती इसी में है कि हम उम्मीद रखना न छोड़ें,
और अच्छे लोगों पर एतमाद करना सीखें।
याद रखें, हर इंसान एक नया मौका है,
और हर रिश्ता एक नई उम्मीद।
कैसे अपनी उम्मीदों को सही लोगों से जोड़ें?
यह एक बहुत अहम और नाज़ुक सवाल है।
सही लोगों से उम्मीदें जोड़ना ज़िंदगी में सुकून और खुशी लाता है,
जबकि ग़लत लोगों से उम्मीदें अक्सर दिल-टूटने और मायूसी का सबब बनती हैं।
यहाँ कुछ अमली मश्वरे दिए जा रहे हैं, जो आपको इस मामले में मदद कर सकते हैं:
- लोगों को वक्त दें,
किसी भी इंसान की असल शख्सियत वक्त के साथ सामने आती है।
ज़ल्दबाज़ी में किसी पर एतमाद न करें, बल्कि वक्त के साथ उनके रवैये और अमल को देखें। - अल्फ़ाज़ नहीं, अमल देखें,
लोग बहुत कुछ कह सकते हैं,
मगर असल शख्सियत उनके अमल से ज़ाहिर होती है।
जो शख़्स मुश्किल वक्त में आपके साथ खड़ा हो,
उस पर उम्मीद रखना ज्यादा मुनासिब है।
- छोटी बातों में एतमाद आज़माएँ
किसी पर मुकम्मल भरोसा करने से पहले छोटी-छोटी बातों में उसका इम्तिहान लें।
देखें कि वह आपकी छोटी उम्मीदों पर पूरा उतरता है या नहीं। - अपनी तवक्को (उम्मीदें) वाज़ेह रखें
अपनी उम्मीदें और तवक्को साफ़ रखें,
और दूसरों से भी साफ बात करें कि आपको किस चीज़ की उम्मीद है।
ग़लत फ़हमियाँ अक्सर तवक्को के गैर-वाज़ेह होने से पैदा होती हैं। - अपनी ख़ुद-एतमादी मज़बूत करें।
हम अक्सर दूसरों से उसी वक्त ज्यादा उम्मीदें जोड़ते हैं,
जब हमें ख़ुद पर एतमाद कम होता है।
अपनी खुद-एतमादी को मज़बूत बनाएं
ताकि आपको दूसरों पर ज़रूरत से ज़्यादा इनहिसार न करना पड़े। - तजुर्बात से सीखें,
माज़ी के तज़ुर्बत को अपनी रहनुमाई बनाएं,
मगर हर नए इंसान को एक नया मौक़ा दें।
हर कोई एक जैसा नहीं होता। - दुआ और मुसबत सोच,
अल्लाह से दुआ करें कि वह आपको अच्छे लोगों से मिलाए,
और आपको सही फ़ैसले करने की तौफीक़ दे।
मुसबत सोच रखें और ज़िंदगी में अच्छे लोगों की क़द्र करें।
याद रखें,
सही लोगों से उम्मीदें जोड़ना एक मुसलसल सीखने का अमल है।
वक्त, तज़ुर्बा और मुशाहिदा आपको इसमें माहिर बना देते हैं।
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह