कविता

अब थक गया हूँ मैं

चलते हैं हम हँसते-हँसते, भीतर टूटी है साँसे,
चेहरों पर तो रोशनी है, मन में बुझती है आशाएँ।
जीवन की डोर मे बंधी है, एक नई खूबसूरत सपनें,
दिल मे तड़प है, आँखों में है आंसुओं की बौछारे।

हर कोई कहता है “तू कर लेगा”,
पर कोई नहीं पूछता ” तू कैसे रहेगा?”
हर दिन एक नया इम्तिहान देना है मुझको,
हर रात अधूरी सी पहचान करनी है मुझको।

पढ़ाई की दौड़ में, नौकरी की आग में,
सपनों की गलियों में फैला है धुआँ – धुआँ।
दिल चाहता है उड़ना नीले आसमानों में,
पर ज़मीन से बँधा हुआ है तेरा वज़ूद कहाँ ?

प्यार में धोखे मिले, रिश्तों में छल मिला,
कुछ नहीं बदला है, सिर्फ बदला है कल यहाँ।
सोशल मीडिया की भीड़ में खोई है दुनिया कहाँ,
सच्चे रिश्ते अब मिलते नहीं इस धोखेबाज कलियुग में।

भीतर कुछ कहता है “अब थक गया हूँ मैं,”
पर होंठ मुस्काते हैं क्योंकि “मैं तो ठीक हूँ।”
आँखों में जो पानी ज़माने से थमा है आज,
वो हर रात चुपके से नदियों की तरह बहता है।

फिर भी सुबह उठते ही,
फिर नए ख़्वाब बुनते हैं।
यही तो जज़्बा है युवा दिल की,
जो टूटकर भी चुपचाप जुड़ते है।

— रूपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - rupeshkumar01991@gmail.com

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