गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

लौट आओ यार मातृ भूमि को।
करते हो यदि प्यार मातृ भूमि को।
अब नहीं जाना किसी भी देश में,
दे दिया इकरार मातृ भूमि को।
इस की पूजा ईश्वर की पूजा है,
करना ना इनकार मातृ भूमि को।
फिर बनेगी सोने वाली चिड़िया यह,
दे देना दीदार मातृ भूमि को।
खोज में इतिहास सृजन कर दिया,
कर गए संसार मातृ भूमि को।
सिर हथेली पर टिकाना आता है,
मानते सरदार मातृ भूमि को।
गरूड़ जैसी इक उड़ारी रखना,
देना ना दीवार मातृ भूमि को।
नौजवानों ने तरक्की में दिया,
प्यार सभ्याचार मातृ भूमि को।
कौन भूलेगा शहीदों को भला,
दे गए संस्कार मातृ भूमि को।
वन्दनीय अन्नदाता शुक्रिया,
दे रहे भण्ड़ार मातृ भूमि को।
गरज साझीवालता एंव प्यार की,
ना देना तकरार मातृ भूमि को।
लिख गया बालम हकीकत ग़ज़ल की,
अलंकृत किरदार मातृ भूमि को।

— बलविन्दर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409

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