कविता

सैनिकों के सम्मान में

जहाँ हमारी सीमाओं पर तुम जैसे हों प्रहरी,
नहीं किसी में है हिम्मत जो लाँघ सके है देहरी।

जल थल नभ की सेनाएं करती जब प्रहार,
दुश्मन के सीने से निकल उठता है चीत्कार।

पहलगाम के आतंकियों की खूब सुनी दहाड़
दुश्मन के खेमे में घुस कर दिया उसे पछाड़।

रात्रि में दुश्मनों ने देखा जो सूरज सिन्दूरी,
तिरंगे का भगवा रंग चहूँ दिश छाया केसरी।

आज घर-घर चप्पे-चप्पे में होती चर्चाएं तेरी
देश की खातिर सुन ए वीर ले जा लहू भी मेरी।

नमन देश की माताओं जना तुमने वीर लला
फिर हमारे मातृभूमि पर कैसे आए कोई बला।

नमन तुम्हें वीर तुम्हारा नहीं कोई है सानी,
पूरा विश्व कह रहा ऑपरेशन सिंदूर की कहानी।

वीर तुम्हें शत-शत नमन तुझ से ही सुरक्षित वतन,
गर्व हमें इस बात का भारत में हमने लिया जन्म।

नमन नमन ऐ वीर करें हृदय से तुझे नमन।

— सविता सिंह मीरा

*सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com

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