अतिथि
कौआ बोला कॉव कॉव
बैठा छत की मुंडेर
नीचे से आवाज आई
देखो इसको भगाओ जल्दी
क्यों यह बोले कॉव कॉव
मैं बोला यह तो लेकर आया शुभ सन्देश
आएगा मेहमान कोई अँगना हमरे
पत्नी बोली इस गर्मी में
बड़ी मुश्किल बनती खुद अपनी रोटी
एक मुसीबत और आ जायेगी
जो आ जायेगा कोई अतिथि
मैं बोला अतिथि देवो भव
वह बोली तो तुम्हीं करना उसका सेवा सत्कार
छिड़ गई एक अंतहीन बहस आपस में
अतिथि नहीं आया हमरे अँगना
बगल के घर में आवत हो गई उसकी
हम रह गए भूखे
हे काँव महाराज आपकी कॉव कॉव ने
हम दोनों के बीच कर दी कॉव कॉव
दया करना अब तुम हम पर
आना अगर हमारी अटरिया
तो कॉव कॉव न करना