गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

झूठ बोलते उसे ज़माना गुजर गया
यही बात पूछी उससे तो मुकर गया

अब कोई नहीं पूछे हैं उसको यहां
जब से यारों वो कुर्सी से उतर गया

कल बस्ती में घूमता था मुफलिसी में
आज कुर्सी पाकर घर सारा भर गया

जो बेटा निकल जाता देख आवारा
पिता की निगाहों में यारों मर गया

बाहर तो शेर की तरह दहाड़ता है
मगर घर आते ही बीवी से डर गया

समूची भूख मिटा लेगा रमेश वहां
यही सोचकर तो यारों वह शहर गया

— रमेश मनोहरा

रमेश मनोहरा

शीतला माता गली, जावरा (म.प्र.) जिला रतलाम, पिन - 457226 मो 9479662215

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