गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अपने घर को रोज़ सजाया तेरे जाने के बाद।
यह दिल फिर ना वापिस आया तेरे जाने के बाद।

इस दुनियां से जो भी जाता फिर वापिस ना आए,
समझे ना, पर दिल समझाया तेरे जाने के बाद।

घर के कोने-कोने में पैर यहां तू पाए थे,
तेरी ख़ुशबू ने तड़पाया तेरे जाने के बाद।

तेरी यादों के गुलदस्ते जगह-जगह पर बिखरे,
तेरी हर शैय ने रूलाया तेरे जाने के बाद।

हर आंसू से तेरी इक तस्वीर बनी है एैसे,
आंखों से ना नीर छुपाया तेरे जाने के बाद।

बरस रही बदरा को फिर इक बदलौटी कहती है,
मारूस्थल कितना पछताया तेरे जाने के बाद।

इक-इक कर के तारा टूटा सूरज चंदा खोया,
यादों वाला गगन रूलाया तेरे जाने के बाद।

जैसे खंजर घोंप के कोई बीच घुमाता जाए,
त्यों चाहत ने बहुत सताया तेरे जाने के बाद।

चिंताओं के महल खड़े है फूल निराशा वाले,
हम ने क्या-क्या और बनाया तेरे जाने के बाद।

माली के बिन बाग़ की हालत सब फूल बताते हैं,
पता-पता है कुमलाया तेरे जाने के बाद।

संवेदनशील स्वाभाव का फूल उगाना चाहूं,
छूई-गूई ने तड़पाया तेरे जाने के बाद।

टूट रही शबनम का कतरा छीन के इक सूरज से,
चाह से सीने साथ लगाया तेरे जाने के बाद।

तेरे नहर किनारे पर अब, ना गुलशन ना पानी,
क्रौंध वाला झुंड ना आया तेरे जाने के बाद।

अब तो एक सहारा देता इस सौदाई दिल को,
तेरी यादों का सरमाया तेरे जाने के बाद।

महफ़िल में अब गीत-ग़ज़ल ना, ना कोई अपनापन,
बालम हर इक शख़्स पराया तेरे जाने के बाद।

— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409

Leave a Reply