छोटी सी मुस्कान, उम्मीद की किरण।
रहमदिली का कोई भी अमल, चाहे वो कितना भी छोटा क्यों ना हो, कभी बेकार नहीं जाता। इस जुमले के मायने और अहमियत बहुत गहरी है। इसका मतलब ये है कि जब भी हम किसी के साथ रहम, हमदर्दी या मदद का सुलूक करते हैं, चाहे वो बहुत छोटा सा अमल हो, जैसे किसी को मुस्कुरा कर देखना, किसी को रास्ता दिखा देना, या किसी ज़रूरतमंद की मामूली सी मदद करना, तो वो कभी ज़ाया नहीं जाता। उसका कोई ना कोई मुसबत असर ज़रूर होता है।
रहमदिली के छोटे-छोटे आमाल भी एक चेन रिएक्शन की तरह होते हैं। जैसे आप किसी की मदद करते हैं, वो शख़्स ख़ुश होता है और शायद आगे किसी और की मदद करता है। इस तरह रहमदिली का असर फैलता जाता है।
अगर आप किसी अजनबी को रास्ता पार करवाते हैं, तो वो शख़्स भी पूरा दिन ख़ुश रहता है और शायद किसी और की मदद कर देता है।
अक्सर छोटी-छोटी रहमदिल बातें किसी के दिन को बेहतर बना सकती हैं। ये शख़्स के एतमाद और ज़हनी हालत को भी मुसबत बना देती हैं। ये जज़्बाती मदद भी हो सकती है।
किसी उदास दोस्त को अच्छा पैग़ाम भेजना या उसे गले लगाना, ये छोटा सा अमल उसके लिए बहुत अहम हो सकता है।
जब लोग एक-दूसरे के लिए रहमदिल होते हैं, तो मुआशरे में एतमाद और तआवुन (सहयोग) की फिज़ा बढ़ती है। इससे मुआशरा मज़बूत और ख़ुशहाल बनता है।
रहमदिली का अमल करने से हमें खुद को भी अच्छा महसूस होता है। ये हमारी रूह को सकून और खुशी देता है।
रहमदिली का कोई भी अमल, चाहे वो कितना भी छोटा क्यों ना हो, कभी ज़ाया नहीं जाता, क्योंकि वो किसी ना किसी सूरत में, किसी ना किसी की ज़िंदगी में, मुसबत तबदीली ज़रूर लाता है। ये एक बीज की तरह है, जो वक्त के साथ फल देता है।
“एक छोटी सी मुस्कान भी किसी के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है।”
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़,