सामाजिक

बेटियां घर की ज़ीनत और समाज की आशा होती हैं

बेटियां घर की जीनत और समाज की आशा होती हैं। वक्त आने पर अपने परिवार को सहारा भी बन जाती हैं, और समाज को एक नई दिशा दिखाती हैं। बेटियों की महत्ता को समझने के लिए हमें उनके योगदान और गुणों को पहचानना होगा।
बेटियां अपने परिवार को प्यार और देखभाल के साथ जोड़ती हैं।उनका ह्रदय निर्मल और साफ़ होता है।बेटियां अपनों की भावनाओं को समझती हैं और उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।बेटियां अपने परिवार और समाज में सशक्तता का प्रतीक होती हैं।बेटियां अपनी रचनात्मकता से नए विचारों को जन्म देती हैं और समाज को आगे बढ़ाती हैं।बेटियां समाज में अपनी शिक्षा, कौशल और अनुभव के साथ योगदान करती हैं।
बेटियों को शिक्षा और सशक्तिकरण के बराबर अवसर प्रदान करना हम सभी का दायित्व बनता है।बेटियों को सुरक्षा और समर्थन प्रदान करना।
बेटियों को सम्मान और प्यार देना। बहुत ही आवश्यक है। बेटियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अवसर और समर्थन के लिए हमें उनके साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए, उनका हौसला बढ़ाना चाहि। बेटियां घर की ज़ीनत और समाज की आशा होती हैं। वे अपने परिवार को सहारा देती हैं और समाज को एक नई दिशा दिखाती हैं। हमें बेटियों को शिक्षा, सशक्तिकरण, सुरक्षा, समर्थन, सम्मान, प्यार और अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें और समाज को आगे बढ़ा सकें।बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। दोनों ही अपने माता-पिता के लिए समान हैं,और समान अधिकारों की हकदार हैं।
बेटियां आजकल हर क्षेत्र में बेटों के बराबर चल रही हैं। वे शिक्षा, खेल, व्यवसाय, और अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं और सफलता प्राप्त कर रही हैं।
समाज में बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदल रहा है, और वे अब अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समर्थन भी प्राप्त कर रही हैं।बेटियों को अब अपने अधिकारों और क्षमताओं के बारे में जागरूक भी किया जा रहा है, जिससे वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सशक्त हो रही हैं। बेटियों को अब अपने आसपास की सफल महिलाओं से पप्रेरणाएं मिल रही है, जिससे वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो रही हैं।
बेटियां अब शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त कर रही हैं और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं।
बेटियां अब खेल में भी सफलता प्राप्त कर रही हैं और अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
बेटियां अब व्यवसाय में भी सफलता प्राप्त कर रही हैं और अपने सपनों को पूरा कर रही हैं।
बेटियां अब सामाजिक कार्य में भी योगदान कर रही हैं और समाज को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही हैं।
बेटा और बेटी में समानता से समाज में भेदभाव कम होता है।
दोनों को समान शिक्षा के अवसर मिलने से वे अपनी प्रतिभा को विकसित कर सकती हैं।
समानता से दोनों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समान अवसर मिलते है।समानता से परिवार में समाज में समर्थन और प्यार का माहौल बनता है।बेटियां न केवल घर की शान होती हैं, बल्कि समाज की भी शान होती हैं। वे अपने घर और ससुराल दोनों को संवारती हैं और अपने आसपास के लोगों को प्यार, समर्थन और देखभाल प्रदान करती हैं।
बेटियों की भूमिकाएं बेटियां अपने परिवार के सदस्यों के लिए सच्ची दोस्त,अपने भाइयों के लिए प्यारी बहन बच्चों के लिए दयालु मां होती हैं।अपने पति के लिए समझदार पत्नी ,बेटियां समाज की शान होती हैं और अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करती हैं।बेटियां न केवल घर की शान होती हैं, बल्कि समाज की भी शान होती हैं। वे अपने घर और ससुराल दोनों को संवारती हैं और अपने आसपास के लोगों को प्यार, समर्थन और देखभाल प्रदान करती हैं। हमें बेटियों को समर्थन और प्रेरणा देनी चाहिए ताकि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

पिता का नाम: अशफ़ाक़ अहमद शाह जन्मतिथि: 24 जून जन्मस्थान: ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा, मध्य प्रदेश कर्मभूमि: हरदा, मध्य प्रदेश स्थायी पता: मगरधा, जिला हरदा, पिन 461335 संपर्क: मोबाइल: 9993901625 ईमेल: dr.m.a.shaholo2@gmail.com शैक्षिक योग्यता एवं व्यवसाय शिक्षा,B.N.Y.S.बैचलर ऑफ़ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस. बी.कॉम, एम.कॉम बी.एड. फार्मासिस्ट आयुर्वेद रत्न, सी.सी.एच. व्यवसाय: फार्मासिस्ट, भाषाई दक्षता एवं रुचियाँ भाषाएँ, हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी रुचियाँ, गीत, ग़ज़ल एवं सामयिक लेखन अध्ययन एवं ज्ञानार्जन साहित्यिक परिवेश में रहना वालिद (पिता) से प्रेरित होकर ग़ज़ल लेखन पूर्व पद एवं सामाजिक योगदान, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल, मगरधा पूर्व प्रधान पाठक, उर्दू माध्यमिक शाला, बलड़ी ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी कम्युनिटी हेल्थ वर्कर, मगरधा साहित्यिक यात्रा लेखन का अनुभव: 30 वर्षों से निरंतर लेखन प्रकाशित रचनाएँ: 2000+ कविताएँ, ग़ज़लें, सामयिक लेख प्रकाशन, निरन्तर, द ग्राम टू डे, दी वूमंस एक्सप्रेस, एजुकेशनल समाचार पत्र (पटना), संस्कार धनी (जबलपुर),जबलपुर दर्पण, सुबह प्रकाश , दैनिक दोपहर,संस्कार न्यूज,नई रोशनी समाचार पत्र,परिवहन विशेष,समाचार पत्र, घटती घटना समाचार पत्र,कोल फील्ड मिरर (पश्चिम बंगाल), अनोख तीर (हरदा), दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद, नगर कथा साप्ताहिक (इटारसी) दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार, दैनिक जागरण, मंथन (बुरहानपुर), कोरकू देशम (टिमरनी) में स्थायी कॉलम अन्य कई पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित प्रकाशित पुस्तकें एवं साझा संग्रह साझा संग्रह (प्रमुख), मधुमालती, कोविड, काव्य ज्योति, जहाँ न पहुँचे रवि, दोहा ज्योति, गुलसितां, 21वीं सदी के 11 कवि, काव्य दर्पण, जहाँ न पहुँचे कवि (रवीना प्रकाशन) उर्विल, स्वर्णाभ, अमल तास, गुलमोहर, मेरी क़लम से, मेरी अनुभूति, मेरी अभिव्यक्ति, बेटियां, कोहिनूर, कविता बोलती है, हिंदी हैं हम, क़लम का कमाल, शब्द मेरे, तिरंगा ऊंचा रहे हमारा (मधुशाला प्रकाशन) अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा, तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी (जील इन फिक्स पब्लिकेशन) व्यक्तिगत ग़ज़ल संग्रह: तुम भुलाये क्यों नहीं जाते तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें तेरा इंतज़ार आज भी है (नवीनतम) पाँच नए ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन सम्मान एवं पुरस्कार साहित्यिक योगदान के लिए अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त पाठकों का स्नेह, साहित्यिक मंचों से मान्यता मुश्ताक़ अहमद शाह जी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे हिंदी-उर्दू साहित्य जगत के लिए गर्व का विषय है। आपकी लेखनी ने समाज को संवेदनशीलता, प्रेम और मानवीय मूल्यों से जोड़ा है। आपके द्वारा रचित ग़ज़लें और कविताएँ आज भी पाठकों के मन को छूती हैं और साहित्य को नई दिशा देती हैं।