कविता
माना कुछ परिणाम दुखद होते पर उनका कारण बुरा नहीं ।
जो होना है वो होगा ही यह वक्त किसी से रुका नहीं ।
माना सपने आज अधूरे बसे रह गए पलकों पर
तुम ऐसे योद्धा वन युध्द करो जिसका शीश युद्ध में झुका नहीं ।
होता विजय प्राप्त ऐसे वीरों को जो लड़ते हैं मरते दम तक
राजतिलक भी हुआ उन्ही का जो मंजिल मिलने तक थका नहीं
— हेमंत सिंह कुशवाह