डिफॉल्ट क्षणकायें *ब्रजेश गुप्ता 03/06/202503/06/2025 0 Comments जिस चेहरे को चाँद कहा करते थे नूर क्या ढला चाँद के दाग नज़र आने लगे मोहब्बत थी उन्हें चेहरे से रूह को कहाँ देखा था