गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कैसे चलाया चक्र देखो है मिटाया पाक को।
घर में घुसे उसके सबक भी तो सिखाया पाक को।।

चालाक बनता फिर रहा धोखा दिये है जा रहा।
फुस्स हुआ जाता सदा मालूम हो यह पाक को।।

सिंदूर आकर था उजाड़ा बन गये थे क्रूर ही।
था ऑपरेशन तब किया चालू बताया पाक को।।

अब बिलबिलाया तबाही जब मचा दी देश ने।
सौ मार आतंकी मिटाकर ही दिखाया पाक को।।

गीदड़ भभकियाँ दे चुनौती की रहा कर बात ही।
कर बंद पानी सुन दिखाकर यह रुलाया पाक को।।

लाले पड़े हैं आज खाने के मगर सुधरे नहीं।
मिलता बुरा बदनाम देखो अब कराया पाक को।

देखो करेंगे अब तबाही जो हरकतें कीं अभी।
सिंदूर का बदला लिया, ट्रेलर दिखाया पाक को।

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’

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