कविता

मन की बातें

करती हूँ जिससे मैं अपने मन की बातें,
वो एक रफ कॉपी अरु ढेर सारी किताबें।

उस रफ कॉपी के पन्नों पर दिखता अतीत
जीते उन क्षणों को समय हो जाता व्यतीत।

मन की मेरी सारी बातें उसमें है अंकित
रख समय को संजोकर किया उसमें संचित।

लगती मुझको वह मेरी सच्ची सी सहेली,
सुलझा देती न जाने कैसे हर पहेली।

कई रत जगे हमारी गुजरी उनके साथ,
कोई साथ दे न दे वो रखे सर पर हाथ।

मेरे उन पन्नों पर कुछ का मुख्य किरदार
सदा रेनॉल्ट कलम से हमको रहा प्यार।

मेरी तूलिका में उसकी है प्रमुख भूमिका।
अधूरे जस एक दूजे के बिन कृष्ण राधिका।

नहीं करे वह मुझसे कभी कोई दिखावा
उस पर है विश्वास करें न कुछ छलावा।

— सविता सिंह मीरा

*सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com

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