भाषा-साहित्य

प्रेमचंद की लेखनी, समकालीन लेखकों से भिन्न है

मुंशी प्रेमचंद की महानता और उनकी लेखनी की विशेषता को समझने  के लिए उनकी रचनाएं दिल से पढ़ना होंगी, तब ही हम उनके ह्रदय तक पहुंच पाएंगे।प्रेमचंद एक सच्चे साहित्यकार थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में समाज की वास्तविकता और मानवीय संबंधों को उजागर किया।
उनकी लेखनी ने न केवल हिंदी और उर्दू साहित्य को समृद्ध बनाया, बल्कि उन्होंने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए भी काम किया। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है और उनकी रचनाएँ हमें सोचने के लिए मजबूर करती हैं।
आपको प्रेमचंद की रचनाएँ पढ़ने की सलाह दूंगा, अगर आपने अभी तक नहीं पढ़ी हैं। उनकी रचनाएँ आपको निश्चित रूप से प्रेरित करेंगी और आपको समाज की वास्तविकता को समझने में मदद करेंगी।
प्रेमचंद की रचनाएँ उनकी लेखनी की विविधिता और भाषाई क्षमता को दर्शाती हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में लिखा।
प्रेमचंद की लेखनी की विशेषताएँ,
1. यथार्थवादी लेखन,2. समाज सुधार की भावना,3. मानवीय संबंधों की जटिलता,4. भाषाई क्षमता,5. विविध विषयों का चयन,
प्रेमचंद की रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं।हाँ, आज भी प्रेमचंद की लेखनी प्रासंगिक है।
प्रेमचंद की लेखनी  समाज की वास्तविकता, मानवीय संबंध, और सामाजिक समस्याएँ उजागर  करती नज़र  आती हैं। उनकी रचनाएँ आज भी हमारे समाज में व्याप्त समस्याओं को दर्शाती हैं और हमें सोचने के लिए मजबूर करती हैं।
प्रेमचंद की रचनाएँ नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देती हैं, और हमें सही और गलत के बीच के अंतर को समझने में मदद करती हैं।प्रेमचंद की रचनाएँ सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता को उजागर करती हैं और हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं।
प्रेमचंद की कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ जो आज भी प्रासंगिक हैं, “गोदान”,”सेवासदन”, “निर्मल वर्मा”,”कायाकल्प” “शतरंज के खिलाड़ी”।
हाँ, यह सत्य है कि आज भी प्रेमचंद की लेखनी प्रासंगिक है।
प्रेमचंद की रचनाएँ आज भी हमारे समाज में व्याप्त समस्याओं को दर्शाती हैं और हमें सोचने के लिए मजबूर करती हैं।
कुछ कारण जो प्रेमचंद की लेखनी को आज भी प्रासंगिक बनाते हैं,
1. सामाजिक समस्याएँ: प्रेमचंद की रचनाएँ समाज में व्याप्त समस्याओं जैसे गरीबी, अनपढ़ता, सामाजिक असमानता, और महिला अधिकारों की लड़ाई को उजागर करती हैं।
2. मानवीय संबंध, प्रेमचंद की रचनाएँ मानवीय संबंधों की जटिलता और गहराई को दर्शाती हैं।
3. वास्तविकता, प्रेमचंद की रचनाएँ समाज की वास्तविकता को दर्शाती हैं, जो आज भी हमारे आसपास दिखाई देती है।
4. नैतिक मूल्य, प्रेमचंद की रचनाएँ नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देती हैं और हमें सही और गलत के बीच के अंतर को समझने में मदद करती हैं।
5. सामाजिक परिवर्तन, प्रेमचंद की रचनाएँ सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता को उजागर करती हैं और हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं।मुंशी प्रेमचंद की लेखनी दूसरे समकालीन लेखकों से कई मायनों में भिन्न थी, जो उन्हें एक प्रभाशाली लेखक बनाती है।
– उनकी लेखनी में आदर्शवाद और यथार्थवाद का अद्भुत मेल है, जो उनके समाजिक और सांस्कृतिक विचारों को दर्शाता है, प्रेमचंद की रचनाओं में उस समय की सामाजिक समस्याएँ, जैसे कि दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह आदि का स्पष्ट चित्रण है।उनकी लेखनी में सरल, स्पष्ट और सहज भाषा का उपयोग है, जो पाठकों को आसानी से आकर्षित करती है।
प्रेमचंद की रचनाओं में व्यापक विषयों का समावेश है, जैसे कि सामाजिक सुधार, स्वाधीनता संग्राम, प्रगतिवादी आंदोलन आदि 
उनके उपन्यासों और कहानियों में प्रभावशाली पात्र हैं, जो पाठकों को सोचने के लिए मजबूर करते हैं ।
इन विशेषताओं के कारण प्रेमचंद की लेखनी दूसरे समकालीन लेखकों से भिन्न होकर प्रभाशाली है, और उन्हें हिंदी साहित्य के सबसे बड़े लेखकों में से एक बनाती है।
प्रेमचंद की कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ जो आज भी प्रासंगिक हैं।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- dr.m.a.shaholo2@gmail.com , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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