बेचारा पौधा
बेचारा पौधा एक,
फोटो में पच्चीस लोग।
किसी ने पकड़ा गमला,
तो किसी ने थामी टहनी,
किसी ने मुस्कान ओढ़ी,
तो किसी ने झलकाई सहृदयता बहु-अभिनयी।
कंधे से कंधा भिड़ाकर खड़े,
कपड़ों पर प्रेस, चेहरे पर शान,
फोटो खिंच गई —
पर पौधे की प्यास रह गई अनजान।
मुख्यमंत्री जी बोले – “हरियाली अभियान!”,
नेता जी बोले – “धरती मां को प्रणाम!”
और वहीं कोने में,
सूरज की धूप में तिलमिलाता,
सूखता गया वो मासूम हरियाण।
अगले दिन अख़बार में
बड़ी सी तस्वीर छपी –
“हमने एक पौधा लगाया!”
मगर सच यह था कि
पौधा ही फोटो में कहीं खो गया।
सच पूछो तो –
पौधे की ज़रूरत मिट्टी, पानी और साया थी,
ना कि शाब्दिक घोषणाओं की छाया थी।
हर पौधा पोस्टर नहीं होता।
उसे दिखावे नहीं, देखभाल चाहिए।
— डॉ सत्यवान सौरभ