सामाजिक

अकेलापन,जीवन और जीवन का अंतिम पड़ाव

यह एक बहुत ही दर्दनाक और वास्तविकता भरा सच हैकि एक इंसान पूरी जिंदगी मेहनत करता है, अपने परिवार और बच्चों के लिए त्याग करता है, लेकिन आखिर में जब वह अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर पहुंचता है, तो उसके अपने ही उसके कामों को नजरअंदाज कर देते हैं या उनकी कद्र नहीं करते।

इससे इंसान को न केवल दुख होता है, बल्कि वह टूट भी जाता है। उसके पास कुछ नहीं बचता, न तो मेहनत का फल और न ही अपने प्रियजनों का प्यार। यह एक कड़वी सच्चाई है जो बहुत से लोगों को अपनी जिंदगी में झेलनी पड़ती है। आज भी कई लोग  इस समस्या से ग्रस्त हैं। ये एक गहरा दर्द और एहसास है जो बहुत से लोगों के दिलों की आवाज है। जो उसे ख़ामोशी से बर्दाश्त करने को मजबूर हैं, क्या करें कहां जाए कोई रास्ता नहीं।

दर्द का विश्लेषण करने पर, यह समझ में आता है कि यह एक गहरा  दर्द है,और जटिल भावना है जो कई कारकों से प्रभावित होती है।

अप्रेसीएशन,,,,जब एक इंसान की मेहनत और त्याग को उसके परिवार और बच्चों द्वारा पहचाना नहीं जाता है, तो इससे उसे लगता है कि उसकी मेहनत बेकार गई है।

अकेलापन,,,जब एक इंसान अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचता है, तो उसे लगता है कि वह अकेला है और उसके पास कोई नहीं है जो उसकी भावनाओं को समझ सके।निराशा,,,जब एक इंसान की उम्मीदें और सपने टूट जाते हैं, तो इससे उसे निराशा और हताशा का अनुभव होता है।इस दर्द को कम करने के लिए, यह जरूरी है कि हम अपने प्रियजनों के साथ खुलकर बात करें और अपनी भावनाओं को साझा करें। साथ ही, हमें अपने परिवार और बच्चों को भी समझाना होगा कि हमारी मेहनत और त्याग का महत्व क्या है।

ऐसे में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

बातचीत,,,,अपने परिवार और बच्चों के साथ खुलकर बात करें और अपनी भावनाओं को साझा करें। इससे उन्हें आपकी भावनाओं को समझने में मदद मिलेगी। अपनी जरूरतों और अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से बताएं। इससे आपके परिवार और बच्चों को पता चलेगा कि आपको क्या चाहिए।अपने परिवार और बच्चों के साथ समय बिताएं और उनके साथ जुड़ने का प्रयास करें। इससे आपके रिश्तों में मजबूती आएगी।

अपनी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। इससे आपको अपने जीवन को बेहतर ढंग से जीने में मदद मिलेगी।

इन कदमों से आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और अपने परिवार और बच्चों के साथ मजबूत रिश्ते बना सकते हैं।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- dr.m.a.shaholo2@gmail.com , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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