कविता

होते नहीं, कभी पस्त हैं

चाह नहीं,

चाहत नहीं।

आह! नहीं,

आहत नहीं।

हाय और हैलो नहीं,

अपना कोई फैलो नहीं।

अपेक्षा नहीं,

उपेक्षा नहीं।

इच्छा नहीं,

परीक्षा नहीं।

वर नहीं,

वरीक्षा नहीं।

रुकते नहीं,

प्रतीक्षा नहीं।

हम अपने में मस्त हैं।

रहते हरदम व्यस्त हैं।

होते नहीं, कभी पस्त हैं।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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