कविता

पिता ईश्वर का साया

मॉं अमृत की छाया और पिता ईश्वर का साया,
मॉं से ही है मायका पिता से चाहतों का जायका,
मॉं से बुलंद हौसला पिता सीखाते लेना फैसला,
मॉं देती है शिक्षा पिता पास कराते जीवन परीक्षा ।

मॉं है सारी जमीन और पिता है पूरा आसमान,
मॉं है खुश अंतर्मन और पिता है शक्तिशाली तन,
मॉं इस दिल की है जान पिता से मिलती पहचान,
मॉं प्रभु से मिला वरदान पिता चेहरे की मुस्कान ।

मॉं से मिलती मिठास पिता से दृढ़ आत्मविश्वास,
मॉं से आनंदपूर्ण साहस पिता से है उमंग उत्साह,
मॉं का सिर पर हाथ पिता का मजबूत बनाएं साथ,
मॉं का आशीर्वाद तो अनुपम पिता का प्रेम मधुबन ।

मॉं है हर दर्द की दवा और पिता कबूल हुई दुआ,
मॉं शब्दों की भाषा पिता है जीवन की परिभाषा,
मॉं उलझनों का करे खात्मा पिता जीवन आत्मा,
मॉं सारी भावनाएं पिता से विजय श्री संभावनाएं ।

मॉं जीवन “आनंद” तो पिता है मधुरतम् मकरंद,
मॉं है धमनियों का रक्त और पिता बनाएं सशक्त,
मॉं का सब करे वंदन पिता भी जीवन प्राण स्पंदन,
मॉं है जितनी पूजनीय पिता भी उतने ही वंदनीय ।

मॉं जीवन की परछाई तो पिता छुपी हुई गहराई,
मॉं त्याग की मूरत पिता जीवन कड़ी खुबसूरत,
मॉं खुशियों की डायरी पिता है गुनगुनाती शायरी,
मॉं जीवन की धूरी और पिता बिन जिंदगी अधूरी ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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