रिमझिम की बौछार
रिमझिम बरसें मेघ जी ,मन में भरें फुहार,
दादुर झींगुर गा रहे ,खुशियों की झंकार।
पावस में गाने लगी ,कोयल सुमधुर गीत ,
सजघज के तितली भली ,चली निभाने प्रीत।
हरी भरी धरती कहे, सुन लो मेघ पुकार ,
खेतों पर भी भेजना ,अपना नेह दुलार।
लाएंगे अब मेघजी,रिमझिम की बौछार ,
धरती पर फिर जिंदगी,होवेगी गुलजार।
धरती ,उपवन खेत में,हरियाली का जोर,
काले काले बादलों,बरसो अब घनघोर।
रिमझिम की सुरताल पे ,गूंजे बरखा गीत ,
आसमान से मेघ जी ,ढोल बजाते मीत।
— महेंद्र कुमार वर्मा