मत किसी के दिल को यूं ही दुखाना
मत किसी के दिल को यूं ही दुखाना
हमेशा मीठा बोलना औरों के काम आना
अमीरों को देख कर रुख बदल लेते हैं लोग
दुखियों की करना सेवा गरीबों को मत सताना
करना ऐसा नेक काम याद जो रखे ज़माना
जरूरतमंद की करना सहायता मत बनाना कोई बहाना
चेहरे पर यदि किसी के मुस्कुराहट ला सको
इससे बढ़कर नहीं दुनियां का कोई खज़ाना
इतना भी मत उलझना किसी उलझन में
कि समझ न आये लगे सिर चकराना
पैदा होता है हल सभी उलझनों का उलझनों के साथ
शांत मन से सोचना तब सुलझाना
नए लोगों से भी रखना वास्ता अपना
लेकिन पुरानों को भी मत भूल जाना
पुरानी चीजों को फेंक देते है आजकल लोग
नया नौ दिन याद रखना सौ दिन चलता है पुराना
मिट्टी हो जाएगा हर जीव इस दुनियां का
ढूंढता फिर रहा है फिर भी खज़ाना
मृगतृष्णा है जो कभी नहीं भरती
सबको पता है साथ कुछ नहीं जाना
— रवींद्र कुमार शर्मा