कविता

किसी मोड़ पर

यकीं है किसी मोड़ पर तुम मिलोगे।
रुकने को मुझे आवाज़ दोगे।।

मैं ना रुकना चाह कर भी ठिठक जाऊंगी।
तुम लच्चछेदार शब्दों से मुझे बहलाओगे।।

गिले-शिकवे सब दूर होने तक।
तुम मुझे बातों में बहलाते रहोगे।।

मीठी-मीठी बातों का असर होगा।
मेरा प्यार पाने मेँ तुम सफल हो जाओगे।।

तृषा प्यार की थी मुझ में भरी हुई।
पता था इसे तुम ही बुझा पाओगे।।

सानिध्य तुम्हारा पाकर हर्षित हुई।
विरान जिन्दगी में तुम ही बहार लाओगे।।

— मंजु लता

डॉ. मंजु लता Noida

मैं इलाहाबाद में रहती हूं।मेरी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है। इतिहास, समाजशास्त्र,एवं शिक्षा शास्त्र में परास्नातक और शिक्षा शास्त्र में डाक्ट्रेट भी किया है।कुछ वर्षों तक डिग्री कालेजों में अध्यापन भी किया। साहित्य में रूचि हमेशा से रही है। प्रारम्भिक वर्षों में काशवाणी,पटना से कहानी बोला करती थी ।छिट फुट, यदा कदा मैगज़ीन में कहानी प्रकाशित होती रही। काफी समय गुजर गया।बीच में लेखन कार्य अवरूद्ध रहा।इन दिनों मैं विभिन्न सामाजिक- साहित्यिक समूहों से जुड़ी हूं। मनरभ एन.जी.ओ. इलाहाबाद की अध्यक्षा हूं। मालवीय रोड, जार्ज टाऊन प्रयागराज आजकल नोयडा में रहती हैं।

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