परिमल प्रेम विधान
आओ जीवन में फैलाएँ, परिमल प्रेम विधान।
खुशहाली की नव आभा में, मानवता का ज्ञान।।
सुंदर शीतल सभी बहाएँ, प्रेम प्यार रसधार।
सब के मन को अति हर्षाए, सुरभित मंद बयार।।
मिलकर आओ आज चलाएँ, हम ऐसा अभियान।
खुशहाली की नव आभा में, मानवता का ज्ञान।।
जीवन दर्शन ऐसा सबका, मिलकर करें प्रयास।
हर प्राणी की सतत साधना, एक सूत्रीय खास।।
सबके जीवन में खुशियाँ हों, सबका हो उत्थान।
खुशहाली की नव आभा में, मानवता का ज्ञान।।
परिमल प्रेम विधान सीखना, आज समय की चाह।
सबके हित की खातिर खोजो, सारे मिलकर राह।।
परमारथ का भाव हमारे, नित्य चढ़े परवान।
खुशहाली की नव आभा में मानवता का ज्ञान।।
राग द्वेष से दूर हमारा, हो जीवन का सार।
भाईचारा हर प्राणी में, सबको सबसे प्यार।।
सबका जीवन सुंदर होगा, तभी बढ़ेगा मान।
खुशहाली की नव आभा में, मानवता का ज्ञान।।