सामाजिक

रिश्ता: आजकल पैसों का महत्व

आजकल रिश्ते मानव जीवन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता हैं। इंसान सामाजिक प्राणी है, और समाज में जीने के लिए उसके पास भावनात्मक जुड़ाव और अपनत्व की जरूरत होती है। माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, दोस्त, चाचा-चाची, नाना-नानी, पड़ोसी – ये सभी रिश्ते हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाते हैं। लेकिन बदलते समय के साथ इन रिश्तों की बुनियाद में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है वह है पैसे का बढ़ता हुआ महत्व।

=> पहले के रिश्तों की नींव : –

हमारे पूर्वजों ने रिश्तों को प्रेम, सच्चाई, त्याग, विश्वास और समझदारी पर आधारित रखा। संयुक्त परिवारों में एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ देना, बिना किसी स्वार्थ के मदद करना और रिश्तों को ताउम्र निभाना आम बात थी। लोगों के पास सीमित संसाधन होते थे, लेकिन भावनाओं की कोई कमी नहीं थी।

=> आज के युग में पैसों की भूमिका :-

वर्तमान समय में, जैसे-जैसे समाज भौतिकवादी होता जा रहा है, वैसे-वैसे रिश्तों में भी पैसों का दखल बढ़ता जा रहा है। पैसे को एक माध्यम के बजाय अब एक मापदंड के रूप में देखा जाने लगा है यह तय करने के लिए कि कोई रिश्ता ‘कितना अच्छा’ है या ‘कितना फायदेमंद’। यह सोच आज की पीढ़ी को रिश्तों के मूल स्वरूप से दूर ले जा रही है।

विभिन्न प्रकार के रिश्तों पर पैसे का प्रभाव : –

1. पारिवारिक रिश्ते : –

आजकल कई परिवारों में पैसों को लेकर तनाव उत्पन्न हो रहा है। भाई-भाई के बीच संपत्ति के बँटवारे को लेकर विवाद आम हो गए हैं। वृद्ध माता-पिता को तब तक सम्मान मिलता है जब तक उनकी पेंशन या संपत्ति किसी काम की हो। जब धन समाप्त होता है, तो रिश्ते भी फीके पड़ जाते हैं।

2. वैवाहिक रिश्ते : –

विवाह को अब सामाजिक और भावनात्मक संस्था के बजाय एक आर्थिक सौदा बना दिया गया है। दहेज, नौकरी, वेतन, बैंक बैलेंस – ये सब शादी के फैसलों में प्रमुख हो गए हैं। रिश्तों में प्रेम और समझदारी की जगह स्टेटस और आर्थिक स्थिति ने ले ली है।

3. दोस्ती में दिखावा : –

आज की दोस्ती भी कभी-कभी ब्रांडेड कपड़े, महंगी गाड़ियाँ और महंगे गैजेट्स के इर्द-गिर्द घूमती है। सच्चे दोस्त वही समझे जाते हैं जिनसे फायदा हो सके। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को धीरे-धीरे हाशिए पर डाल दिया जाता है।

4. समाज में पहचान :-

सामाजिक पहचान अब इस बात पर निर्भर करती है कि आपके पास क्या है, आप कितना कमाते हैं और आपका रहन-सहन कैसा है। रिश्तों की गरिमा इस आर्थिक प्रदर्शन के नीचे दबती जा रही है।

पैसा क्यों ज़रूरी है? : –

यह मानना गलत होगा कि पैसा महत्वहीन है। वस्तुतः, पैसे के बिना जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं – जैसे भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास – की पूर्ति नहीं हो सकती। पैसा रिश्तों को सुदृढ़ भी कर सकता है अगर उसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। लेकिन जब पैसा रिश्तों पर हावी होने लगे, तब वह समस्याओं की जड़ बन जाता है।

वास्तविक रिश्तों की पहचान कैसे करें? : –

जो लोग आपकी स्थिति बदलने पर भी वही प्रेम और सम्मान देते हैं, वे सच्चे रिश्तेदार होते हैं।

जो आपके साथ मुसीबत में खड़े रहते हैं, और आपके लाभ या हानि से परे, केवल आपसे जुड़े रहते हैं – वही असली अपने हैं।

जो आपकी सफलता से ईर्ष्या नहीं करते, बल्कि उसे मन से स्वीकार करते हैं उन्हें सहेज कर रखिए।

समाधान की दिशा में कुछ प्रयास : –

1. मूल्यों की शिक्षा : बच्चों को बचपन से ही रिश्तों के महत्व और नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाए।

2. संतुलन बनाए रखें : पैसा कमाना ज़रूरी है, लेकिन वह लक्ष्य नहीं, साधन होना चाहिए।

3. संवाद और समझ : रिश्तों में पारदर्शिता और आपसी संवाद से कई आर्थिक गलतफहमियाँ दूर हो सकती हैं।

4. स्वार्थ से ऊपर उठें : अपने नज़दीकी लोगों से व्यवहार करते समय केवल लाभ-हानि की दृष्टि से न सोचें।

अतः रिश्तों और पैसों के बीच संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। जहाँ भावनाओं की जगह लेती जा रही है ‘हिसाब-किताब’, वहाँ रिश्ते केवल नाम के रह जाते हैं। लेकिन यह भी सच है कि अगर हम चाहें, तो पैसे को रिश्तों की नींव नहीं, बल्कि मजबूती बनाने का माध्यम बना सकते हैं। सच्चे रिश्ते वही हैं जो बिना किसी स्वार्थ के निभाए जाएँ, और ऐसे रिश्तों को पहचान कर उन्हें निभाना ही आज के युग की सबसे बड़ी सफलता है।

— रूपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - rupeshkumar01991@gmail.com

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