!! नारी तुम !!!!!!!
नारी तुम माधुर्य हो इस
सृष्टि की सुन्दर रचना का
स्वर से सज्जित रागिनी हो
विश्व वीणा के सप्तक का
शक्ति तुम्ही हो लक्ष्मी तुम्ही हो
सर्व गुण सम्पन्न शारदा
श्रद्धा स्नेह, करुणा , ममता हो
तुम्ही प्रिया , प्रियंवदा
सॄजन तुम्ही से है सॄष्टि का
तुम्ही श्रद्धा तुम्ही अर्चना
घर मंदिर की ऋद्घि सिद्धि तुम
सम्पूर्ण सॄष्टि की वंदना
संस्कार दीक्षा तुमसे है
संस्कृति की रक्षा तुमसे है
अन्नपूर्णा तुम ही हो धरणी
धर्म अधर्म कक्षा तुमसे है
प्रतिस्पर्धा पुरुषों से कर के
अस्तित्व तेरा कम हो न कहीं
अधिकार के खातिर लड़ो मगर
भूलो न कर्तव्य कहीं
जीवन के बहती सरिता को ,
पार करो डूबो न कहीं
माझी से पतवार छीन तुम
खुद ही मुश्किल में पडो नहीं
कर्कषता , कटुता , छल, इर्ष्या
में क्या रखा है पाने को
जब बाँह पसारे खड़ी स्वयं
सम्मान तुम्हें अपनाने को
कविता अच्छी लगी , रामनवमीं की वधाई हो बहन.
हार्दिक आभार दी