लड़कियों पर अत्याचार
लड़कियों पर क्यों होते अत्याचार ,
मिलती है प्रताड़ना हर कदम पर ,
गलती चाहे जिसकी भी हो पर ,
सबकुछ सहन उसे ही करना पड़ता |
यह दुनिया भी अजीब सी हो गयी ,
सब देखते हुए अनजान बन गयी ,
उसकी भावनाओ को कोई नहीं समझता ,
लगता है सबकी मर चुकी है भावना |
सुनते नहीं आवाज कोई उसकी ,
वो किसे सुनाये दिल-दर्द अपनी ,
सारे कष्टो को अपने दिल में समेटे ,
बड़ी आकांक्षाओ को अंदर ही दबाये |
अंदर ही अंदर घूंट- घूंट कर जीती ,
आखिर कौन है सुनने वाले उसकी ,
जो भी बने हुए थे उसके अपने ,
वहीं ठहरने लगे है गुनहगार उसे |
ऐसी परिस्थिति क्यों बनी है उसकी ,
मैं भी कुछ समझ नहीं पाती |..
…..निवेदिता चतुर्वेदी ……..