कवितापद्य साहित्य

लड़कियों पर अत्याचार

लड़कियों पर क्यों होते अत्याचार ,

मिलती है प्रताड़ना हर कदम पर ,

गलती चाहे जिसकी भी हो पर ,

सबकुछ सहन उसे ही करना पड़ता |

यह दुनिया भी अजीब सी हो गयी ,

सब देखते हुए अनजान बन गयी ,

उसकी भावनाओ को कोई नहीं समझता ,

लगता है सबकी मर चुकी है भावना |

सुनते नहीं आवाज कोई उसकी ,

वो किसे सुनाये दिल-दर्द अपनी ,

सारे कष्टो को अपने दिल में समेटे ,

बड़ी आकांक्षाओ को अंदर ही दबाये |

अंदर ही अंदर घूंट- घूंट कर जीती ,

आखिर कौन है सुनने वाले उसकी ,

जो भी बने हुए थे उसके अपने ,

वहीं ठहरने लगे है गुनहगार उसे |

ऐसी परिस्थिति क्यों बनी है उसकी ,

मैं भी कुछ समझ नहीं पाती |..

…..निवेदिता चतुर्वेदी ……..

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४