मेहनत की जीत
अपने वजन से भी भारी
,
दाना ले चींटी चढ़ी अटारी।
कुछ दूर चढ़कर गिर जाती,
फिर सम्हलकर चढ़ने लगती।
एक नहीं क़ई बार गिरी,
फिर भी वो हिम्मत न हारी।
जीत की उसमें था विश्वास,
जारी रखी अपनी अभ्यास।
आखिर एकबार आयी बारी,
दाना ले चढ़ गयी अटारी।
चींटी यही देती है सीख,
मेहनत की होती है जीत।
-दीपिका कुमारी दीप्ति
बढ़िया, प्रेरक कविता !