देशभक्त का प्रश्न
भारत माँ से पूछूँगा क्यों अक्सर ऐसा होता है
राष्ट्र ध्वजा के तीन रंगो में भगवा ही क्युँ रोता है
जो भगवा को फूंके क्यों उनको उन्नत आकाश मिले
भगवा को जो पूजे क्यों उसको हरदम बनवास मिले
भगवा को नोचे फाड़े सबको पूरी आजादी क्यों
भगवा गर चूँ भी करदे तो कहलाता अपराधी क्यों
हरा रंग वाला आतंकी भी सबको चल जाता है
भगवा पहने संतो का भाषण भी क्यों खल जाता है
हरे रंग पे चुप क्यों सबकी जिव्या क्या काट जाती है
भगवा की पूजा कर लू तो धरती क्यों फट जाती है
भगवा की रक्षा करने वाला न राजा राम मिला
भगवा को जी भर के लूटा ऐसा हिन्दुस्तान मिला
औरो की रक्षा करने में खुद भगवा के हाथ जले
न जाने क्यों भगवा अब भी सब रंगो के साथ चले
भगवा से भी पूछूँगा क्यों सब रंगो को ढोता है
राष्ट्र ध्वजा के तीन रंगो में भगवा ही क्यों रोता है…
भारत माँ का उत्तर
अर्थ दिया था मैंने तुझको, तू बल का परिचायक है
मात्र भूमि का वीर पुत्र तू, वन्देमातरम गायक है
तू राणा है, तू ही शिवा तू, भगत सिंह बलिदानी है
तू आज़ाद और सावरकर, तू ही सुभाष अभिमानी है
इस धरती पर गंगा लाने वाला भागीरथ है तू
तू अर्जुन है भीम भी तू और भीष्मपिता कि शपथ है तू
तू केशव का पाञ्चजन्य तू, गोवर्धन गिरधारी है
भारत के हर भाग का पहला और सच्चा अधिकारी है
तू रामायण तू ही गीता ज्ञान में तुझे महारथ है
तू मेरा सच्चा बेटा है तेरा ही ये भारत है
किसके डर से तू अपने अधिकारों को अब खोता है, राष्ट्रध्वज के तीन रंगो में, भगवा—-
मन मेरा छलनी होता जब, खून बिखरता घाटी में
हरा रंग जब दानव बनकर, खूब विचरता घाटी में
जो घाटी में भगवा को घर से बेघर कर देते है
ना जाने कितने बेटो के गले उन्होंने रेते है
कितने मंदिर टूटे लेकिन तू अब तक खामोश रहा
माँ पूछे हे बेटा बोलो है तेरा वोजोश कहा
तू माता का सिंह है गरजो तुझको क्या डरना बेटा
तू जाने ना खामोशी से आखे बंद किये लेटा
जब बेटो का लहू नसो में, स्वेत रंग हो जाता है
माँ के मान का शौर्य चक्र फिर कदमो में आ जाता है
ना जाने क्यूँ शीर्ष पे हो कर, भी कदमो में सोता है, राष्ट्रध्वज के तीन रंगो में, भगवा—-
बहुत प्रेरक कविता !
thanx