क्षणिका

क्षणिकाएं-1

(1) मन की पीड़ा

आओं
हम-तुम चले
तन की सारी पीडाएँ छोड़
मन की पीड़ा का
ज़बाब ढूढने
तन की पीड़ा
ये मन सह लेगा
लेकिन
मन की पीड़ा
असहनीय होती हैं
ये तन के बस की नहीं

(2) घर

झोपड़ी हो
या फिर महल
रहता हैं
इंसान ही
नादान ही
शैतान ही

(3) मैं अंजान

कागज-सी कोरी हैं
ये हथेलियाँ
और मैं
बिल्कुल निरक्षर
देखते हैं
क्या लिखता हैं
ये नासमझ जीवन

(4) मेरे सपने

मेरे सपनों के
पूरा होने से पहले
मेरा जीवन
समाप्त न हो जाये

चन्द अक्षर ही अभी
मैं लिख पाया हूँ
मेरे मरने के बाद
यही प्रयाप्त न हो जाये

(5) बरसात

गर्मी में बाबा ने कहा —
बरसात न होने के कारण फसल बर्वाद हो गई!
फिर तीन-चार महीने बाद बोले —
बरसात होने के कारण फसल बर्वाद हो गई!!

अमन चाँदपुरी

अमन चांदपुरी

परिचय – मूल नाम- अमन सिंह जन्मतिथि- 25 नवम्बर 1997 पिता – श्री सुनील कुमार सिंह माता - श्रीमती चंद्रकला सिंह शिक्षा – स्नातक लेखन विधाएँ– दोहा, ग़ज़ल, हाइकु, क्षणिका, मुक्तक, कुंडलिया, समीक्षा, लघुकथा एवं मुक्त छंद कविताएँ आदि प्रकाशित पुस्तकें – ‘कारवान-ए-ग़ज़ल ‘ 'दोहा कलश' एवं ‘स्वर धारा‘ (सभी साझा संकलन) सम्पादन – ‘ दोहा दर्पण ‘ प्रकाशन – विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा वेब पर सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित सम्मान – प्रतिभा मंच फाउंडेशन द्वारा ‘काव्य रत्न सम्मान‘, समय साहित्य सम्मेलन, पुनसिया (बांका, बिहार) द्वारा 'कबीर कुल कलाधर' सम्मान, साहित्य शारदा मंच (उत्तराखंड) द्वारा ‘दोहा शिरोमणि' की उपाधि, कामायनी संस्था (भागलपुर, बिहार) द्वारा 'कुंडलिया शिरोमणि' की मानद उपाधि, उन्मुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा 'ओमका देवी सम्मान' एवं तुलसी शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा 'संत तुलसी सम्मान' से सम्मानित विशेष - फोटोग्राफी में रुचि। विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं तथा वेब पर फोटोग्राफस प्रकाशित पता – ग्राम व पोस्ट- चाँदपुर तहसील- टांडा, जिला- अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)- 224230 संपर्क – 09721869421 ई-मेल – [email protected]

3 thoughts on “क्षणिकाएं-1

  • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

    सुन्दर !

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिकाएं !

  • गुंजन अग्रवाल

    sundar sabhi

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