मुक्तक
सुहाना नेह का रिश्ता , इसे दिल में बसा लूँ मैं
तुम्हारा आसरा पाकर, जहाँ सारा भुला दूँ मैं
तुम्हीं हो आरजू मेरी , तुम्हीं मेरी इबादत हो
मिलन के मिल सके दो पल, उन्हें कविता बना लूँ मैं
— शान्ति पुरोहित
सुहाना नेह का रिश्ता , इसे दिल में बसा लूँ मैं
तुम्हारा आसरा पाकर, जहाँ सारा भुला दूँ मैं
तुम्हीं हो आरजू मेरी , तुम्हीं मेरी इबादत हो
मिलन के मिल सके दो पल, उन्हें कविता बना लूँ मैं
— शान्ति पुरोहित
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अछे विचार .
अच्छा मुक्तक, बहिन जी !