सांसों में निज प्राण भर लें
आओ हम सब
***********
आओ हम सब मिलजुल कर
ऐसे घर का निर्माण करें
माँ भारती विराजे ऊपर
झुक दुनिया प्रणाम करे
विश्वास से नीव भरें हम
लौह प्रीति की ईंट बने हम
ज्ञान विज्ञान का दीप जलाएँ
त्याग समर्पण भीत बने हम
पूरब उत्तर के कोने पर
कर कृतिका मिट्टी सोने पर
कर स्थापित पूज्य भारती
करें आरती सांझ होनेपर
मन्दिर मस्जिद चर्च रहे और
सिक्खो का गुरुद्वारा हो
लहराता रहता छतपर
अपना तिरंगा प्यारा हो
हर दिल मे जलता रहता
राष्ट्र प्रेम का ज्वाला हो
एक जाति और एक धर्म का
राष्ट्र प्रेम रस प्याला हो
आओ हमसब मिलजुलकर
तूलिका पदचिन्ह बनाएँ
माँ का पाँव पड़े पहले
हम तिरंगा लिए लहराएँ
********************
©Copyright Kiran singh
अच्छी कविता।
आभार