कारगिल के शहीदों को प्रणाम !
कर रहे हैं नमन उन शहीदों को हम
जो समर मे अमर हो गये थे कभी
हम रहें न रहें तुम रहो ना रहो
पर नहीं नाम इनका मिटेगा कभी / कर रहे…
गव॔ से सिर सदा हम उठा कर चलें
इसलिए फूँक घर अपना ये जल गये
व॔श का दीप इनके जलेगा नहीं
जानकर बात भी मौत से भिड़ गये
राह मे जो वतन के मिटा दे सभी
दीप न उनके दर का बुझेगा कभी/कर रहे…
जब मनाओगे गुलशन की आजादी तुम
यार उस वक्त हमको भुलाना नहीं
आएँगे हर जनम म॓ इसी भू पे हम
नाम लिली से हमारा मिटाना नही
हम रहेंगे सदा धूल मे फूल मे
छोड़ कर जाएँगे ना वतन हम कभी/ कर रहे…
जन्म ले कर तो मरते सभी है यहाँ
मौत लेकिन शहीदों की होती नहीं
कुछ को दो गज जमी न मिले बाद मे
कुछ की खातिर तो आँखें भी रोती नहीं
मोल तुम आँसुओं से न दे पाओगे
आज अपना लुटा दो वतन पे सभी/कर रहे…
कारगिल के शहीदों को
? ? प्रणाम ??
बहुत प्रेरक गीत !